Pradosh July: सावन में प्रदोष व्रत करने से मिलती है भोलेनाथ की कृपा, कुंडली में मजबूत होता है चंद्रमा
Pradosh Vrat 2023: शिव की आराधना का सर्वोत्तम समय तिथियों में प्रदोष और वार में सोमवार होता है. सावन के महीने में प्रदोष काल का महत्व और भी बढ़ जाता है. प्रदोष काल में पूजा करना अधिक लाभदायक रहता है.
July 2023 Pradosh: श्रावण मास यानी मंथ ऑफ महादेव में भोलेनाथ भगवान शिव की भक्ति का सबसे खास महीना होता है. यूं तो भोलेनाथ की पूजा रोज ही करनी चाहिए, किंतु सावन में शिव की आराधना का अपना अलग महत्व है. यह महीना भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय माह माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस माह पूरी श्रद्धा से शिवजी की पूजा और ध्यान करने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है. शिव की आराधना का सर्वोत्तम समय तिथियों में प्रदोष और वार में सोमवार होता है. इस समय भगवान शिव की पूजा और उनका ध्यान करने से सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं.
कथा
चंद्रमा को क्षय रोग अर्थात टीबी हो गया था, जिसके कारण दिन पर दिन उनकी हालत बिगड़ती ही जा रही थी, उन्हें मृत्यु तुल्य कष्ट था. ऐसे में शिवजी ने उन्हें त्रयोदशी के दिन उस बीमारी से मुक्ति देकर पुनः जीवन प्रदान किया. इसी कारण त्रयोदशी को प्रदोष कहा जाने लगा और उस दिन शिवजी की पूजा-अर्चना का महत्व बढ़ गया. प्रदोष के दिन व्रत और शिवजी की पूजा करने वालों को शिवजी की विशेष कृपा मिलती है और किसी भी तरह के रोगों से मुक्ति प्राप्त होने के साथ ही हर मनोकामना पूरी होती है. सावन के महीने में प्रदोष काल का महत्व और भी बढ़ जाता है. प्रदोष काल में पूजा करना अधिक लाभदायक रहता है.
सावन में पड़ने वाले प्रदोष
प्रदोष का व्रत करने से चंद्रमा ठीक होता है और चंद्रमा मन का कारक है, इसलिए मन की बेचैनी दूर होती है. पंचांग के अनुसार, प्रदोष काल सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले शुरू होता है सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक रहता है. सावन में पड़ने वाली प्रदोष तिथियों को जानिए.
30 जुलाई- रविवार
13 अगस्त- रविवार
28 अगस्त- मंगलवार