Search For Aliens: क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं? मानव ने जब से अंतरिक्ष की गहराइयों में गोते लगाना सीखा, तब से यह सवाल पूछ रहा है. हम ब्रह्मांड को जितना जान-समझ पाए हैं, उसके हिसाब से यह बहुत बड़ा है. इसका आकार हमारी कल्पनाओं के परे हैं. हमारी पृथ्‍वी जिस मिल्की वे गैलेक्सी का हिस्सा है, उसी में हमारे सूर्य जैसे खरबों तारे मौजूद हैं. एक साइंटिफिक मॉडल यह अनुमान लगाता है कि इनमें से आधे स्टार सिस्टमों में पृथ्वी जैसे ग्रह हो सकते हैं. अगर धरती के बाहर जीवन है तो भी हम तक उसके संकेत नहीं पहुंचे हैं. तमाम वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद अभी तक हमें एलियंस की मौजूदगी के निशान नहीं मिले हैं. इसके बावजूद, वैज्ञानिकों ने एलियंस की खोज धीमी नहीं पड़ने दी है. उन्होंने ग्रहों-उपग्रहों से लेकर तमाम सितारों की खाक छान डाली है. आपको उन जगहों के बारे में बताते हैं जहां वैज्ञानिक एलियंस की तलाश करते आए हैं/कर रहे हैं.


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Triton


यह नेपच्यून का सबसे बड़ा उपग्रह है. यहां नाइट्रोजन गैस के गीजर्स फूटते हैं. Triton के वातावरण में ऑर्गेनिक मटेरियल पाए जाते हैं जो जीवन निर्माण की एक कड़ी हैं. वैज्ञानिकों को लगता है कि Triton की बर्फीली सतह के नीचे पानी का महासागर मौजूद हो सकता है.


Ceres


प्यूटो के साइज के करीब 20वें भाग बराबर का यह बौना ग्रह एस्टेरॉयड बेल्ट में पाया जाता है. NASA के अनुसार, यहां पर जीवन के दो अहम तत्व- ऑर्गेनिक यौगिक और पानी मौजूद हैं. लेकिन यहां का वातावरण बेहद पतला है और काफी ठंडा हो सकता है.


Io


यह बृहस्पति यानी जुपिटर के 95 उपग्रहों में से एक है. इस चंद्रमा पर हमारे सौरमंडल के सबसे भयानक ज्वालामुखी पाए जाते हैं. भले ही ज्वालामुखियों से लावा फूटता रहता हो, Io की सतह बर्फीली है. कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि कभी यहां की सतह पर पानी मौजूद था और शायद अब भी दबा हो.


Callisto


Callisto जुपिटर के सबसे बड़े उपग्रहों में से एक है. गैलीलियों जांच ने यहां पर लिक्विड वाटर की मौजूदगी के सबूत जुटाए थे. यहां के पतले वायुमंडल में हाइड्रोजन भी हो सकती है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी का JUICE स्पेसक्राफ्ट दिसंबर 2031 में जुपिटर तक पहुंचेगा, फिर वह Callisto के 21 चक्कर लगाते हुए उसकी स्टडी करेगा.


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Ganymede


Ganymede हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है. JUICE अपने मिशन पर इसके भी 12 चक्कर लगाएगा. Callisto की तरह Ganymede की सतह पर भी खारा महासागर हो सकता है. कैमरों, सेंसर और रडार की मदद से JUICE पता लगाएगा कि यह महासागर सच में है या नहीं.


Venus


वैज्ञानिकों को लगता है कि शुक्र ग्रह पर कभी पृथ्वी जैसी स्थितियां थीं. एक बिलियन साल पहले, ग्रीन हाउस इफेक्ट की वजह से शुक्र के महासागर भाप बन गए और उसकी सतह टूट गई. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि शुक्र पर शायद अब भी जीवन मौजूद हो. लेकिन यह माइक्रोबियल या एयरबॉर्न ही होगा. कई अंतरिक्ष एजेंसियां शुक्र पर मिशन भेजने की तैयारी में हैं.


Enceladus


Enceladus शनि के सबसे बड़े चंद्रमाओं में से एक है. स्पेस डॉट कॉम के अनुसार, 2017 में कैसिनी स्पेसक्राफ्ट ने यहां लिक्विड वाटर और ऑर्गेनिक अणुओं की खोज की थी.


Titan


यह शनि का सबसे बड़ा चंद्रमा है जहां ऑर्गेनिक मटेरियल की भरमार है. NASA के मुताबिक, टाइटन काफी हद तक शुरुआती पृथ्वी जैसा है. यहां के वायुमंडल में नाइट्रोजन की अधिकता है लेकिन आसमान से मीथेन की बारिश होती है.


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Europa


यूरोपा, जुपिटर का चौथा सबसे बड़ा चंद्रमा है. NASA के मुताबिक, इसकी सतह के नीचे एक विशालकाय महासागर हो सकता है जिसमें शायद ऑर्गेनिक मटेरियल भी हो.


Mars


शुक्र की तरह मंगल ग्रह भी कभी पृथ्वी जैसा ग्रह था. यहां नदियां थीं, झीलें थीं और वातावरण भी गर्म था. शायद मंगल की सतह के कुछ किलोमीटर नीचे अब भी लिक्विड वाटर मौजूद हो.


HD 110067


जेम्स वेब टेलीस्कोप ने इस एक्सोप्लैनेट की खोज की थी. HD 110067 एक स्टार सिस्टम है जिसमें नेपच्यून से भी छोटे छह ग्रह मौजूद हैं.


Kepler-38


Kepler-38 एक प्लैनेटरी सिस्टम है जिसमें दो तारे एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं. 2021 की एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने यहां पर जीवन की संभावना जाहिर की थी. इनमें से हर एक स्टार सिस्टम 2,764 और 5,933 प्रकाश वर्ष दूर लायरा तारामंडल में स्थित है.


TOI-715b


TOI-715b को 'सुपर अर्थ' भी कहा जाता है. यह इतनी तेजी से अपने तारे का चक्कर लगाता है कि सिर्फ 19 दिन में नया साल आ जाए. यह ग्रह पृथ्‍वी से सिर्फ 137 प्रकाश वर्ष की दूर पर मौजूद है.


TRAPPIST-1


हाल ही में जेम्स वेब टेलीस्कोप ने पृथ्वी जैसे सात ग्रहों वाले एक तारे की खोज की. यह 39 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. इसके चौथे ग्रह TRAPPIST-1 पर जीवन की संभावना जाहिर की गई है.


Kepler-186f


इस एक्सोप्लैनेट की खोज 2014 में हुई थी. यह किसी दूसरे सौरमंडल के हैबिटेबल जोन में मौजूद खोजा गया पृथ्वी के आकार का पहला ग्रह था. यहां से जैसा प्रकाश आता है, किसी तरह का वेजिटेशन हमें लाल, बैंगनी या काला दिखेगा.


Kepler-22b


इस ग्रह पर आधा रात होती है और आधा साल दिन. 145 दिन लगातार धूप और 145 दिन लगातार अंधेरा. NASA के मुताबिक, फिर भी यहां पर जीवन हो सकता है. यह ग्रह शायद लिक्विड वाटर से भरा है जिसका औसत तापमान 16 डिग्री सेल्सियस है.


GJ-486


यह एक्सोप्लैनेट अपने तारे का इतनी तेजी से चक्कर लगाता है कि यहां एक साल धरती के सिर्फ 1.5 दिन में पूरा हो जाए. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के अनुसार, इसकी सतह का तापमान 426 डिग्री सेल्सियस है. यहां पर जल वाष्प के निशान मिले हैं.