Science News: वैज्ञानिकों ने पहली बार एंटीमैटर को ट्रांसपोर्ट करने में सफलता पाई है. उन्होंने दूसरे सबएटॉमिक कणों का इस्तेमाल करते हुए ड्राई रन पूरा किया. यह पहली बार है जब लूज कणों को इस तरह ले जाया गया है. इससे CERN से एंटीमैटर को अन्य जगहों पर ले जाने का रास्ता खुल गया है जहां इस पर और अच्छे से स्टडी की जा सकेगी. एंटीमैटर को ले जाना बेहद मुश्किल है, इसे आप जिस भी कंटेनर में रखें, यह उसे ही नष्‍ट कर देता है. अब CERN के वैज्ञानिकों ने एक खास ट्रैप तैयार किया है जिसे वे BASE-STEP कहते हैं. इसमें एंटीमैटर को रखा और ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है.


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एंटीमैटर क्या होता है?


हम अपने आसपास जो कुछ भी देखते हैं, वह सामान्य पदार्थ है. एंटीमैटर उसका 'दुष्ट जुड़वा' है. दोनों के बीच मुख्य अंतर यह है कि एक पार्टिकल और उसके एंटीपार्टिकल में विपरीत चार्ज होता है. यह सुनने में जितना आसान है, उसके नतीजे उतने ही भयानक. अगर एंटीमैटर के कण सामान्य पदार्थ, यहां तक कि हवा को भी छूते हैं, तो वे ऊर्जा के विस्फोट में एक दूसरे को नष्ट कर देते हैं. मतलब यह कि एंटीमैटर का अस्तित्व क्षणभंगुर होता है.


एंटीमैटर को बनाना मुश्किल है और उसकी स्टडी और भी मुश्किल. दुनिया में कुछ ही जगहें हैं जो लगातार एंटीमैटर बना सकती हैं. CERN का एंटीप्रोटॉन डिसेलेरेटर (AD) उनमें से एक है.


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एंटीमैटर का कैसे स्टोर कर सकते हैं?


एंटीमैटर पलक झपकते ही गायब होता है. वैज्ञानिक स्टडी कर सकें, उसके लिए एंटीमैटर को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड में सस्पेंड करने की जरूरत पड़ती है ताकि यह किनारों को छूने से बच सके. BASE प्रयोग बस यही करता है, और यह एंटीमैटर कणों को एक साल से अधिक समय तक स्टोर कर सकता है. CERN ने अब BASE-STEP बनाया है जो 1.9 मीटर लंबा पोर्टेबल वर्जन है.


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BASE-STEP में एक वैक्यूम चैंबर लगा है जिसमें एंटीमैटर रखा जाता है. इसमें एक सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बनाता है, एक क्रायोजेनिक सिस्टम है जो लिक्विड हीलियम का इस्तेमाल कर उस मैग्नेट को ठंडा रखता है. सारे उपरकरण चलाने के लिए बैटरियां लगी हैं.


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