तूफानी रफ्तार से धरती के पास से गुजरेगा Asteroid, बिग बेन से भी तीन गुना बड़ा है आकार
Asteroid: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चेतावनी दी है कि धरती के पास से एक विशाल एस्टेरॉयड गुजरने वाला है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये आकाशीय चट्टान 984 फुट चौड़ी है और लंदन के बिग बेन से तीन गुना बड़ी है.
वॉशिंगटन: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने चेतावनी दी है कि धरती के पास से एक विशाल एस्टेरॉयड (Asteroid) गुजरने वाला है. इस एस्टेरॉयड (Asteroid) का नाम 3361 Orpheus है और जब ये धरती के पास से गुजरेगा तो इसकी रफ्तार करीब 30 हजार किमी प्रतिघंटा होगी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये आकाशीय चट्टान 984 फुट चौड़ी है और लंदन के बिग बेन से तीन गुना बड़ी है.
धरती के पास से गुजरेगा एस्टेरॉयड
अमेरिकी स्पेस एजेंसी इस पर नजर रखे हुए हैं और वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये एस्टेरॉयड रविवार 21 नवंबर को धरती के पास से गुजरेगा. हालांकि नासा ने कहा है कि ये एस्टेरॉयड धरती के पास जरूर आ रहा है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि, ये धरती से 35 लाख मील की दूरी से गुजर जाएगा. नासा का मानना है कि कोई भी चीज जो 12 करोड़ मील के अंदर से गुजर रही है, वह धरती के पास का ऑब्जेक्ट है. नासा ऐसे नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स पर नजर रखती है.
परिक्रमा पथ में बदलाव ला सकता है तबाही
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा तेजी से आती किसी चीज को धरती के 46 लाख मील के इलाके में आने पर उसे धरती के लिए खतरा मानती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इन विशाल चट्टानों के परिक्रमा पथ में हल्का सा भी बदलाव होता है, तो ये धरती से टकरा सकती हैं. एस्टेरॉयड 3361 Orpheus करीब 30 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती की ओर आ रहा है. माना जा रहा है कि ये 21 नवंबर को धरती के पास से गुजरेगा.
22 एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की आशंका
नासा ऐसे दो हजार एस्टेरॉयड्स पर नजर रखे हुए है जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं. अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे खतरा माना जाता है. NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है. फिलहाल 22 ऐसे एस्टेरॉयड हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की आशंका है.
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क्या है एस्टेरॉयड?
एस्टेरॉयड्स ऐसी चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं, लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं. करीब 4.5 अरब साल पहले जब सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी एस्टेरॉयड्स में बदल गए.