AI करेगा ब्रह्मांडीय शोर को खामोश! ग्रेविटेशनल वेव्स को साफ-साफ सुन पाएंगे वैज्ञानिक
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AI करेगा ब्रह्मांडीय शोर को खामोश! ग्रेविटेशनल वेव्स को साफ-साफ सुन पाएंगे वैज्ञानिक

Gravitational Waves: ब्रह्मांड में होने वाले बड़े विस्फोटों से जो कंपन पैदा होता है, उन्हें गुरुत्वाकर्षण तरंगे कहते हैं. ये तरंगें बेहद मंद होती हैं और इनका पता लगा पाना बेहद मुश्‍किल होता है.

AI करेगा ब्रह्मांडीय शोर को खामोश! ग्रेविटेशनल वेव्स को साफ-साफ सुन पाएंगे वैज्ञानिक

Science News in Hindi: स्पेस-टाइम में उठने वाली अदृश्‍य लेकिन बेहद तेज लहर को 'गुरुत्वाकर्षण तरंग' कहते हैं. एक सदी से भी पहले, महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने इनकी भविष्‍यवाणी की थी. उनका कहना था कि जब दो बड़े पिंड एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं तो अंतरिक्ष और समय के ताने-बाने में कंपन पैदा करते हैं. ये लहरें तालाब में पत्थर फेंकने पर होने वाली लहरों की तरह फैलेंगी. वैज्ञानिक अंतरिक्ष की इन लहरों को गुरुत्वाकर्षण तरंगें कहते हैं. गुरुत्वाकर्षण तरंगें प्रकाश की गति (186,000 मील प्रति सेकंड) से यात्रा करती हैं. गुरुत्वीय तरंगें जब गुजरती हैं तो अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चीज को दबाती और खींचती हैं.

2015 में वैज्ञानिकों ने पहली बार गुरुत्वाकर्षण तरंगों की मौजूदगी का पता लगाया. उन्होंने इसके लिए LIGO (Laser Interferometer Gravitational-Wave Observatory) का इस्तेमाल किया था. ये पहली गुरुत्वाकर्षण तरंगें तब उत्पन्न हुईं जब दो ब्लैक होल आपस में टकराए. यह टक्कर 1.3 अरब साल पहले हुई थी. लेकिन, ये तरंगें 2015 तक पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाईं! लेकिन उस खोज ने आइंस्टीन की बात पर मुहर लगा दी.

गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाना इतना मुश्किल क्यों?

गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता पृथ्‍वी पर मौजूद इंटरफेरोमीटर्स - जैसे LIGO और VIRGO - के साथ-साथ पल्स टाइमिंग एरे की मदद से लगाया जाता है. इनके जरिए स्पेस-टाइम में छोटी-छोटी विकृतियों पर नजर रखी जाती है. समस्या यह है कि गुरुत्वाकर्षण तरंगों के डेटा में बहुत सारा ब्रह्मांडीय शोर और गड़बड़ियां होती हैं, जिससे सटीक एनालिसिस चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

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एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इन दिक्कतों का दूर कर सकती है. Astronomy and Computing जर्नल में छपी स्टडी कहती है कि अत्याधुनिक कंप्यूटिंग को जमीनी डिटेक्टर्स के साथ इंटीग्रेट करके इस क्षमता में कई गुना इजाफा किया जा सकता है. AI उस डेटा को साफ करके इंटरप्रेट कर सकता है जो वैज्ञानिकों के लिए काफी मददगार साबित होगा.

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रिसर्च टीम ने चार तरह की गुरुत्वाकर्षण तरंगों की जांच करके पाया कि AI इस क्षेत्र में बड़े काम आ सकता है. एआई मॉडल तरंगों को सिमुलेट कर सकते हैं और अप्रासंगिक संकेतों को फिल्टर कर सकते हैं, जिससे साफ और अधिक विश्वसनीय नतीजे मिल सकते हैं.

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