डार्क एनर्जी के पीछे ब्लैक होल तो नहीं? जिससे बना है दो-तिहाई ब्रह्माण्ड; नई थ्योरी चौंका रही
Black Holes And Dark Energy: एक रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि ब्लैक होल की स्टडी करने से उन परिस्थितियों का पता चल सकता है जिनके कारण डार्क एनर्जी का उदय हुआ.
Science News: पृथ्वी, ब्रह्माण्ड का एक बहुत छोटा हिस्सा है. अब तक हम ब्रह्माण्ड का एक सीमित अंश ही देख पाते हैं. इसकी वजह यह है कि ब्रह्माण्ड में सामान्य पदार्थ सिर्फ 5 प्रतिशत ही है. इसी 5 प्रतिशत में वह सब कुछ है, जो हमें दिखाई देता है यानी धूल, गैस, ग्रह-उपग्रह, तारे, आकाशगंगाएं आदि. ब्रह्माण्ड का करीब 25 प्रतिशत डार्क मैटर से बना है. यह पदार्थ देखा नहीं जा सकता और सामान्य पदार्थ से बेहद कम प्रतिक्रिया करता है. हम इसके बारे में गुरुत्वाकर्षण प्रभावों की वजह से जानते हैं. ब्रह्माण्ड का बाकी 70%, उससे भी अधिक रहस्यमय पदार्थ 'डार्क एनर्जी' से बना है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह डार्क एनर्जी ही है जो ब्रह्माण्ड के विस्तार को गति दे रही है. माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति 13.8 अरब साल पहले हुई थी, जब ब्रह्माण्ड में विस्तार होना शुरू हुआ था.
ब्लैक होल और डार्क एनर्जी
आखिर ब्रह्माण्ड के 95% भाग का रहस्य क्या है? कुछ वैज्ञानिकों को लगता है कि इसका जवाब ब्लैक होल्स में छिपा हो सकता है. वैज्ञानिक डार्क एनर्जी को समझने के लिए घड़ी को बिग बैंग तक पीछे ले जाने की कोशिश में लगे हैं. उन्हीं में से एक हैं अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर ग्रेगरी टार्ले. वह Journal of Cosmology में छपे उसे पेपर के सह-लेखक हैं जो कहता है कि ब्लैक होल का अध्ययन करने से हमें उन परिस्थितियों का पता चल सकता है जिनकी वजह से डार्क एनर्जी का जन्म हुआ था.
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'बिग बैंग का रिवर्स'
टार्ले ने कहा, 'अगर आप खुद से यह सवाल पूछें कि ‘बाद के ब्रह्माण्ड में हमें गुरुत्वाकर्षण इतना मजबूत कहां दिखाई देता है जितना ब्रह्मांड की शुरुआत में था?’ इसका जवाब है ब्लैक होल के केंद्र में.' उनके मुताबिक, 'यह संभव है कि विस्तार के दौरान जो हुआ वह रिवर्स में हुआ हो, एक विशाल तारे का पदार्थ गुरुत्वाकर्षण पतन के दौरान फिर से डार्क एनर्जी ऊर्जा बन जाता है - जैसे कि बिग बैंग की घटना विपरीत हो.'
इस थ्योरी को 'डार्क एनर्जी स्पेक्ट्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट (DESI) के ऑब्जर्वेशंस से बल मिला है. हालिया स्टडीज दावा करती हैं कि डार्क मैटर का एक बड़ा हिस्सा ब्लैक होल्स से बना है. लेकिन यह नई रिसर्च बताती है कि शायद ब्लैक होल्स का डार्क एनर्जी से कहीं अधिक लेना-देना हो.
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रिसर्च में वैज्ञानिकों को मिले सबूत
स्टडी के मुख्य लेखक एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के केविन क्रोकर हैं. वह कहते हैं, 'अगर ब्लैक होल में डार्क एनर्जी है, तो वे फैलते ब्रह्माण्ड के साथ जुड़ सकते हैं और बढ़ सकते हैं, जिससे ब्रह्माण्ड का विकास तेज हो सकता है. हमें यह नहीं पता कि यह कैसे हो रहा है, लेकिन हम इसके होने के सबूत देख सकते हैं.'
DESI लाखों दूरस्थ आकाशगंगाओं का डेटा जुटाता है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि इतिहास के अलग-अलग दौर में ब्रह्माण्ड का किस तेजी से विस्तार हो रहा था. इसका इस्तेमाल यह अनुमान लगाने के लिए किया जाता है कि समय के साथ डार्क एनर्जी की मात्रा किस प्रकार बदल रही है. क्रोकर की टीम ने इसकी तुलना समय के साथ बड़े तारों की मृत्यु से बने ब्लैक होल्स की संख्या से की.
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स्टडी के को-ऑथर, हवाई यूनिवर्सिटी के डंकन फराह कहते हैं, 'दोनों घटनाएं एक-दूसरे के अनुरूप थीं - जैसे-जैसे विशाल तारों की मृत्यु के कारण नए ब्लैक होल बनते गए, ब्रह्माण्ड में डार्क एनर्जी की मात्रा सही तरीके से बढ़ती गई. इससे यह अधिक संभव हो हो जाता है कि ब्लैक होल डार्क एनर्जी का स्रोत हैं.