वो कण जो मिलें तो खुल जाएं ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्य, वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया कहां खोजना है
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वो कण जो मिलें तो खुल जाएं ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्य, वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया कहां खोजना है

Science News in Hindi: ब्रह्मांड में Axion नामक मूल कण मौजूद हो सकते हैं, ऐसी संभावना चार दशक पहले जाहिर की गई थी. अगर ये कण सच में पाए जाते हैं तो डार्क मैटर के रहस्य से पर्दा उठ सकता है.

वो कण जो मिलें तो खुल जाएं ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्य, वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया कहां खोजना है

Science News in Hindi: Axions ब्रह्मांड में सबसे शिद्दत से खोजे जाने वाले काल्पनिक कण हैं. ये मूल कण हैं और आज तक बस इनकी कल्पना ही की गई है. अगर हम कभी उन्हें खोज पाए तो ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्यों से पर्दा उठा सकते हैं, जिनमें कम से कम एक तरह का डार्क मैटर शामिल है. एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि बेहद तेज गति से घूमने वाले न्यूट्रॉन तारे, ऐसे एक्सियन कणों का निर्माण कर सकते हैं.

रिसर्च के मुताबिक, न्यूट्रॉन तारों को एक्सियन को फंसाने में इतना कुशल होना चाहिए कि इन कणों को इतनी अधिक मात्रा में अलग किया जा सके जिससे उनका पता लगाया जा सके. इससे हमें एक्सियन की प्रकृति और गुणों, जैसे कि उसके द्रव्यमान के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिलेंगे.

वैज्ञानिकों ने सत्तर के दशक में एक्सियन कणों के वजूद का प्रस्ताव दिया था. तब से ही एस्ट्रोनॉमर्स उनके सुराग ढूंढ रहे हैं. ये काफी कुछ न्यूट्रिनो जैसे होते हैं और माना जाता है कि दूसरे पदार्थ से कमजोर प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे इनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है. अगर वे एक तय द्रव्यमान सीमा के भीतर हों, तो ऐसा अनुमान है कि वे एकदम डार्क मैटर की तरह व्यवहार करते हैं.

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क्या होते हैं न्यूट्रॉन तारे?

न्यूट्रॉन तारे बेहद ताकतवर होते हैं. वे उन विशाल तारों के केंद्र हैं जो सुपरनोवा हो गए हैं और गर्म, बेहद सघन पिंडों में ढह गए हैं. न्यूट्रॉन तारों में अविश्वसनीय रूप से भारी चुंबकीय क्षेत्र होते हैं. पल्सर, न्यूट्रॉन तारों का एक प्रकार है. पल्सर तारें बेहद तेज गति से घूमते हैं और अपने ध्रुवों से रेडियो उत्सर्जन की शक्तिशाली किरणें छोड़ते हैं. इससे ये टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं. तेज घूमने की वजह से तारे के चुंबकीय क्षेत्र की ताकत बढ़ जाती है.

एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी के फिजिसिस्ट डायोन नूर्डुइस और उनकी टीम ने पिछले साल एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया. उन्होंने पाया कि ये तेजी से घूमते हुए तारे हर मिनट 50 अंकों की संख्या में एक्सियन उत्पन्न करने में सक्षम हैं. जब वे तारे से बाहर निकलते हैं, तो ये एक्सियन उसके चुंबकीय क्षेत्र से गुजरते हैं और फोटॉन में बदल जाते हैं, जिससे पल्सर अपनी अपेक्षा से थोड़ा अधिक चमकीला हो जाता है.

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सबूत नहीं मिले, लेकिन...

कई पल्सर का एनालिसिस करने पर, वे किसी भी अतिरिक्त प्रकाश का पता लगाने में नाकाम रहे. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि ये काल्पनिक कण मौजूद नहीं हैं; बस इतना है कि, अगर एक्सियन मौजूद हैं, तो उनके द्वारा उत्पादित सिग्नल पर अधिक कठोर सीमाएं हैं.

टीम का एनालिसिस कहता है कि अगर एक्सियन बादल होते हैं तो वे न्यूट्रॉन तारों के लिए आम होने चाहिए. यानी वे अधिकतर न्यूट्रॉन तारों में पाए जाने चाहिए. और वे अत्यंत सघन होने चाहिए, स्थानीय डार्क मैटर घनत्व से लगभग 20 गुना अधिक, जिसका अर्थ है कि जब फोटॉन मुक्त होकर बाहर निकलेंगे, तो वे एक पहचाने जाने लायक सिग्नल पैदा करेंगे. यह रिसर्च हाल ही में Physical Review X में छपी है.

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