Science News: अंतरिक्ष से धरती पर बिजली की सप्लाई? अगर आप कुछ साल पहले ऐसा कहते तो वैज्ञानिक भी हंसने लगते. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अमेरिका, चीन, जापान समेत कई देश आने वाले सालों में ऐसी क्षमता हासिल करने की दिशा में बढ़ रहे हैं. एक ब्रिटिश स्टार्टअप भी 2030 तक स्पेस में मौजूद सैटेलाइट के जरिए पृथ्‍वी पर बिजली सप्लाई करने जा रहा है. यह कंपनी 2030 तक पहला डिमॉन्स्ट्रेटर सैटेलाइट भेजकर आइसलैंड को बिजली सप्लाई शुरू करना चाहती है. अगर वह सफल रही तो यह दुनिया में इस रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स का पहला वाकया होगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अंतरिक्ष से धरती पर कैसे सप्लाई होगी बिजली?


यह स्पेस सोलर पावर प्रोजेक्ट UK की Space Solar, Reykjavik Energy और आइसलैंड के सस्टेनेबिलिटी इनिशिएटिव Transition Labs के बीच साझेदारी है. कंपनी की योजना अगले छह साल में पहला सैटेलाइट लॉन्च करने की है जो धरती पर साफ-सुथरी 30 मेगावॉट ऊर्जा की बीम छोड़ेगा. इतनी बिजली से करीब 3,000 घर रोशन हो सकते हैं. सैटेलाइट से हाई-फ्रीक्वेंसी वाली रेडियो वेव्स के रूप में ऊर्जा भेजी जाएगी. जमीन पर लगे रिसीविंग एंटेना इस ऊर्जा को इकट्ठा करेंगे और उसे बिजली में बदलकर पावर ग्रिड में भेजेंगे.


मौसम कैसा भी हो, स्पेस से 24x7 होगी बिजली सप्लाई


सोलर पैनल्स को मिलाकर यह सैटेलाइट करीब 400 मीटर चौड़ा होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट का वजन 70.5 टन हो सकता है. यह पृथ्वी की मध्यम कक्षा में ग्रह की परिक्रमा करेगा. यह कक्षा 2,000 और 36,000 किलोमीटर के बीच की ऊंचाई पर एक निकट-अंतरिक्ष क्षेत्र है.


यह भी देखें: अंतरिक्ष में फटा यूरोप का सैटेलाइट, हो गए 20 टुकड़े... चलाने वाली कंपनी को भी नहीं पता क्या हुआ; भड़का रूस


इस साझेदारी का लक्ष्‍य 2036 तक ऐसे छह अंतरिक्ष-आधारित सौर ऊर्जा स्टेशन की फ्लीट तैयार करने का है. यह फ्लीट धरती पर लोगों को 24x7 कई गीगावॉट साफ बिजली सप्लाई करने में सक्षम होगी, भले मौसम कैसा भी हो. 2040s के मध्य तक, अंतरिक्ष के ये पावर प्लांट 15 गीगावॉट से ज्यादा एनर्जी सप्लाई करने लायक हो सकते हैं.


कितना खर्च आएगा? नहीं होगा फॉल्ट


Space Solar के मुताबिक, पहले पावर प्लांट को बनाने में $800 मिलियन का खर्च आएगा. कंपनी ने कहा कि यह सिस्टम परमाणु ऊर्जा की लागत का लगभग एक-चौथाई, यानी 2.25 बिलियन डॉलर प्रति गीगावाट की दर से बिजली उपलब्ध कराएगा.


यह भी पढ़ें: 843 साल पहले सुपरनोवा से ब्रह्मांड में मची तबाही लेकिन बच गया था तारा, उसमें आज भी हो रहे धमाके


पृथ्वी पर फोटोवोल्टिक्स और विंड टर्बाइनों के उलट, सैटेलाइट बिजलीघरों में रुक-रुक कर बिजली उत्पादन की समस्या नहीं होगी. यह पारंपरिक अक्षय ऊर्जा उत्पादन की एक बड़ी खामी है. ये सैटेलाइट दिन के समय या मौसम की स्थिति की परवाह किए बिना लगातार बिजली का उत्पादन करेंगे.


मस्क की कंपनी लेकर जाएगी यह सैटेलाइट


स्पेस सोलर ने जो प्लान बनाया है, उसके अनुसार 30 मेगावाट के हर सोलर फार्म को स्पेसएक्स के स्टारशिप मेगारॉकेट द्वारा एक ही लॉन्च में कक्षा में पहुंचाया जाएगा. SpaceX दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क की एयरोस्पेस कंपनी है. 165 टन तक के पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने की क्षमता के साथ, स्टारशिप ने लॉन्च की लागत को खासा कम किया है.


विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!