Temperature Of Earth's Core: जून के महीने में भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम हिस्सों में भयानक गर्मी पड़ रही है. कहीं-कहीं तो तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा पहुंचा. 50 डिग्री में ही इंसान का यह हाल है, जरा सोचिए तापमान इसका 10 गुना हो जाए तो क्या होगा? पृथ्वी पर एक जगह ऐसी है जहां का तापमान 5,000 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा है. वह जगह ऐसी है जहां तक इंसान का पहुंच पाना लगभग नामुमकिन है.


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चौंकिए मत. यह सच है. हमारे ग्रह के आंतरिक कोर का तापमान लगभग 5,700 केल्विन (5,430 °C; 9,800 °F) होने का अनुमान है, जो कि सूर्य की सतह के तापमान के लगभग बराबर है. सूर्य की सतह का तापमान करीब 10,000 फैरनहाइट (5,600 °C, 5800 K) है. तमाम कोशिशों के बावजूद, वैज्ञानिक धरती के कोर तक इंसान तो दूर, किसी मशीन को भी नहीं पहुंचा सके हैं.


पृथ्वी का कोर


कैलिफोर्निया एकेडमी ऑफ साइंसेज के अनुसार, कोर धरती का सबसे अंदरूनी हिस्सा है. यह करीब 2,414 किलोमीटर मोटी है. आंतरिक और बाहरी, दोनों कोर में मुख्य रूप से लोहा और निकल मौजूद है. आंतरिक कोर पर बहुत दबाव होता है, जो उच्च तापमान के बावजूद इसे ठोस बनाए रखता है. बाहरी कोर लिक्विड है जो 2,092 किलोमीटर मोटी है. बाहरी कोर का तापमान भी 4,000 से 5,000 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है.


पृथ्वी का कोर (Photo : NASA)

वैज्ञानिक प्रयोगों में क्या पता चला?


ऐसा नहीं कि वैज्ञानिकों ने जमीन खोदकर देखने की कोशिश नहीं. बार-बार की है. सबसे बड़ी कोशिश मई 1970 में शुरू हुई थी. तब सोवियत रूस के वैज्ञानिकों ने कोला प्रायद्वीप में एक गड्ढा खोदना शुरू किया. मकसद था धरती के क्रस्ट में जितना संभव हो सके, उतना नीचे तक खुदाई करना. तमाम प्रयास के बावजूद सिर्फ 12,262 मीटर की गहराई तक ही ड्रिलिंग की जा सकी. कोला सुपरडीप बोरहोल SG-3 पृथ्वी पर सबसे गहरा मानव निर्मित छेद है.


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1992 में कोला सुपरडीप बोरहोल की खुदाई रोक दी गई क्योंकि ड्रिलिंग के दौरान तापमान 356 डिग्री फारेनहाइट (180 डिग्री सेल्सियस) हो गया था. यह 1979 से 2008 तक दुनिया का सबसे लंबा बोरहोल भी था. मई 2008 में कतर के अल शाहीन तेल क्षेत्र में कुआं BD-04A खोदा गया जिसकी कुल लंबाई 12,289 मीटर (40,318 फीट) थी, लेकिन गहराई सिर्फ 1,387 मीटर (4,551 फीट) थी.