6 करोड़ किलोमीटर प्रति घंटा! महाविशाल ब्लैक होल से पैदा हुईं हवाएं बदल सकती हैं ब्रह्मांड का नक्शा
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6 करोड़ किलोमीटर प्रति घंटा! महाविशाल ब्लैक होल से पैदा हुईं हवाएं बदल सकती हैं ब्रह्मांड का नक्शा

Supermassive Black Hole News: वैज्ञानिकों को पता चला है कि महाविशाल ब्लैक होल इतनी तेजी से गैसों को बाहर धकेलता है कि लगभग 58 मिलियन किलोमीटर प्रति घंटे की गति तक पहुंचने वाली हवाएं पैदा होती हैं.

6 करोड़ किलोमीटर प्रति घंटा! महाविशाल ब्लैक होल से पैदा हुईं हवाएं बदल सकती हैं ब्रह्मांड का नक्शा

Supermassive Black Hole Winds: महाविशाल ब्लैक की ताकत पर चलने वाले क्वेसार भयानक मात्रा में रेडिएशन पैदा करते हैं. यह रेडिएशन गैस के बादलों को धकेलता है जिससे हवाओं की रफ्तार करोड़ों किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जाती है. एक नई स्टडी में पता चला है कि इन हवाओं की रफ्तार 58 मिलियन किलोमीटर प्रति घंटा होती है. जिस क्वेसार पर वैज्ञानिकों ने रिसर्च की, वह लगभग हमारे ब्रह्मांड जितना ही पुराना है.

रिसर्चर्स ने पाया कि क्वेसार यानी active galactic nuclei (AGN) के केंद्र में मौजूद महाविशाल ब्लैक होल अपने चारों तरफ मौजूद आकाशगंगाओं की रचना में अहम भूमिका निभाते हैं. स्टडी के मुताबिक, इनसे पैदा हुईं हवाएं ब्रह्मांड का नक्शा बदलने की ताकत रखती हैं. विस्कॉन्सिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की अगुवाई में चली रिसर्च के नतीजे इसी महीने The Astrophysical Journal में छपे हैं.

लगभग ब्रह्मांड जितना ही पुराना है यह क्वेसार

वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च SBS 1408+544 नाम के क्वेसार पर की. बूटेस तारामंडल में मौजूद यह क्वेसार पृथ्वी से करीब 13 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर है. SBS 1408+544 से आने वाला प्रकाश 13 अरब वर्षों से पृथ्वी पर आ रहा है. तुलना के लिए, हमारे ब्रह्मांड की आयु 13.8 अरब वर्ष है. वैज्ञानिकों ने इस क्वेसार से जुड़े पिछले आठ साल के डेटा पर नजर डाली. 

माना जाता है कि अधिकतर आकाशगंगाओं के केंद्र में महाविशाल ब्लैक होल मौजूद हैं. इनका द्रव्यमान हमारे सूर्य से करोड़ों, खरबों गुना ज्यादा होता है. लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर महाविशाल ब्लैक होल किसी क्वेसार को ताकत दे. क्वेसार ब्लैक होल एक चपटे घूमते बादल में पदार्थ से घिरे होते हैं, जिसे 'एक्रीशन डिस्क' कहा जाता है. यह डिस्क धीरे-धीरे ब्लैक होल को पदार्थ खिलाती रहती है.

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आकाशगंगाओं से भी चमकदार हो जाते हैं क्वेसार

क्वेसार के केंद्र में मौजूद ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव, घर्षण और ज्वारीय बल पैदा करता है जिससे एक्रीशन डिस्क का पदार्थ गर्म हो जाता है और बेहद तेजी से चमकने लगता है. जो पदार्थ ब्लैक होल में नहीं जाता, वह शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्रों की मदद से उसके ध्रुवों तक पहुंचाया जाता है. वहां से यह पदार्थ लगभग प्रकाश की गति से जेट के रूप में बाहर निकाला जाता है. हर ब्लैक होल ध्रुव से इन दोहरे जेट्स के साथ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन भी निकलता है. 

इस रेडिएशन की वजह से कुछ क्वेसार इतने चमकदार हो जाते हैं कि उनकी रोशनी आसपास मौजूद आकाशगंगाओं में मौजूद सभी तारों की कुल रोशनी से ज्यादा हो जाती है. यह प्रकाश उन आकाशगंगाओं को आकार देता है. 

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बूटेस तारामंडल में महाविशाल ब्लैक होल से चलने वाला क्वेसार SBS 1408+544 (Photo : Jordan Raddick and the SDSS collaboration)

रिसर्च टीम ने SBS 1408+544 पर स्टडी के बाद पाया कि क्वेसार के रेडिएशन ने उसके चारों तरफ मौजूद पदार्थ को बाहर धकेला. इस पदार्थ ने विशालकाय ब्लैक होल हवाओं का निर्माण किया, जिनकी गति 36 मिलियन मील प्रति घंटा (58 मिलियन किलोमीटर प्रति घंटा) तक पहुंच गई. यह आवाज की गति से लगभग 45,000 गुना अधिक है.

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ब्रह्मांड का नक्शा बदल सकती हैं ये हवाएं!

इस खोज का मतलब यह है कि अगर ब्लैक होल की हवाएं पर्याप्त ताकतवर हों तो तारों के बनने की प्रक्रिया रोक सकती हैं. इससे 'होस्ट' गैलेक्सी की मृत्यु हो सकती है. ये हवाएं केंद्रीय ब्लैक होल को ईंधन मिलने से भी रोक सकती हैं. इससे एक सक्रिय आकाशगंगा, मिल्की वे जैसी एक शांत आकाशगंगा में बदल सकती है.

रिसर्च टीम ने जो ब्लैक होल हवाएं देखीं, वे अपनी आकाशगंगाओं के बाहरी इलाकों से भी आगे तक जा सकती हैं और पड़ोसी आकाशगंगाओं को प्रभावित कर सकती हैं.

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