पेरिस: फ्रांस (France) में एक खास तरह की स्टडी की गई. इसमें 15 लोग शामिल हुए. स्टडी के लिए 15 लोग 40 दिन तक एक गुफा (Cave) में रहे. 40 दिन तक ये सभी लोग बाहरी दुनिया से अंजान और सुख-सुविधाओं से दूर रहे. स्टडी में 7 पुरुषों और 8 महिलाओं ने हिस्सा लिया. गुफा में रहकर की जा रही ये स्टडी शनिवार को पूरी हो गई.


40 दिन बाद अंधेरी गुफा से निकले 15 लोग


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि गुफा में बंद सभी 15 लोग जब बाहर आए तो उनके चेहरे खिले हुए थे. इस गुफा (Cave) का नाम लॉम्ब्राइव्स (Lombrives) है. 40 दिन तक गुफा में अंधेरे में रहे लोग जब बाहर निकले तो उन्होंने काला चश्मा लगाया हुआ था, जिससे कि उनकी आंखों पर सूर्य की तेज रोशनी का बुरा असर न हो.


ये भी पढ़ें- अंतरिक्ष से ऐसी दिखती है अपनी धरती! ISS का यह वीडियो रोमांच से भर देगा आपको


VIDEO



गुफा में टाइम का नहीं चलता था पता


जान लें कि गुफा में न तो सूर्य की रोशनी थी और न ही कोई घड़ी, जिससे टाइम का पता चल सके. गुफा में रहे लोगों ने बताया कि उन्हें कभी लगता था कि समय जल्दी बीत रहा है तो कभी टाइम काटे नहीं कटता था. वहां का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस था.


बाहरी दुनिया से 40 दिन तक नहीं था कोई संपर्क


गौरतलब है कि 40 दिन तक इन लोगों का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रहा. इन लोगों की एक बार भी किसी फैमिली मेंबर या दोस्त से बात नहीं हुई. वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट का नाम डीप टाइम (Deep Time) रखा. इस स्टडी को ह्यूमन एडेप्टेशन इंस्टीट्यूट (Human Adaptation Institute) के वैज्ञानिकों (Scientists) ने किया है.


ये भी पढ़ें- नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा, जानें बिल्ली के शरीर में कैसे हुई कोरोना की एंट्री


स्टडी में इन चीजों का पता लगा


वैज्ञानिकों ने इस स्टडी के जरिए ये समझने की कोशिश की कि किसी खास परिस्थिति में इंसान अपने आप को कैसे ढालता है? खुद को कैसे उसके अनुकूल बनाता है? वैज्ञानिकों ने सेंसर्स (Sensors) की मदद से इन 15 लोगों के व्यवहार, सोने के पैटर्न और बातचीत करने के तरीके में बदलाव पर रिसर्च की. ये सेंसर काफी छोटा था, जो एक कैप्सूल (Capsule) में था. स्टडी में शामिल लोगों ने इसे निगल लिया था.


LIVE TV