Dark Matter Mystery: ब्रह्मांड का अधिकांश भाग हमें नजर नहीं आता. सारे ग्रह, तारे, आकाशगंगाएं, धूमकेतु मिलकर भी ब्रह्मांड का सिर्फ 5% बनाते हैं. ब्रह्मांड का 68.3 से 70% हिस्सा डार्क एनर्जी है तो करीब 26% डार्क मैटर. यह डार्क मैटर न तो प्रकाश से इंटरएक्ट करता है, न ही इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड से. डार्क मैटर विज्ञान के सबसे गूढ़ रहस्यों में से एक है. हम अभी तक इसके बारे में कुछ नहीं जान पाए हैं.


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अब एक नई स्टडी कहती है कि पृथ्वी के वायुमंडल की ऊपरी परत हमें डार्क मैटर का रहस्य सुलझाने में मदद कर सकती है. arXiv में छपी स्टडी के मुताबिक, आयनमंडल ने डार्क मैटर से इंटरएक्ट करके अनोखी रेडियो तरंगें पैदा कीं. दूसरे शब्दों में कहें तो पृथ्वी के आयनमंडल में प्लाज्मा की मौजूदगी के चलते अल्ट्रा लाइट डार्क मैटर की नॉर्मल मैटर से प्रतिक्रिया हुई. अगर इस तकनीक का इस्तेमाल कर वैज्ञानिक ऐसी रेडियो तरंगों को खोज पाए तो डार्क मैटर से जुड़ी काफी जानकारी मिल सकती है.


डार्क मैटर से रिएक्ट करता है आयनमंडल का प्लाज्मा!


स्टडी के अनुसार, अधिकतर समय डार्क मैटर की सामान्य मैटर से प्रतिक्रिया दर्ज ही नहीं हुई. ऐसा कुछ निकला ही नहीं जो डिटेक्ट हो सके. हालांकि, दुर्लभ मामलों में डार्क मैटर और नॉर्मल मैटर की प्रतिक्रिया ऐसी रही कि ठीक-ठाक मात्रा में रेडियो तरंगें पैदा हुईं. रिसर्च टीम का मॉडल बताता है कि अगर डार्क मैटर प्लाज्मा से टकराए तो ऐसा फिर हो सकता है. जब डार्क मैटर की फ्रीक्वेंसी प्लाज्मा किरणों की फ्रीक्वेंसी से मेल खाती है, तब ऐसा होता है. एक प्रतिध्वनि होती है जो डार्क मैटर और नॉर्मल मैटर की प्रतिक्रिया को और तेज कर देता है, जिससे रेडियो तरंगों के रूप में रेडिएशन पैदा होता है.


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ब्रह्मांड में प्लाज्मा की भरमार है. सभी तारे सौर हवाओं के रूप में प्लाज्मा छोड़ते हैं. हालांकि, नई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि डार्क मैटर का एक इंटरेक्शन प्वाइंट हमारे ग्रह के आयनमंडल के करीब है. पृथ्वी का आयनमंडल, वायुमंडल की पतली, गर्म परत है जिसमें आयनाइज्ड पार्टिकल्स की भरमार होती है, इसमें प्लाज्मा भी होता है. प्राकृतिक रूप से इसमें तरंगें रहती हैं. अब रिसर्चर्स ने पाया है कि ये तरंगें डार्क मैटर की तरंगों से प्रतिक्रिया कर सकती हैं.


इस प्रतिक्रिया से उपजीं तरंगें डिटेक्ट कर पाना बेहद मुश्किल है. रिसर्चर्स के मुताबिक, अगर साल भर तक रेडियो एंटीना को तय फ्रीक्वेंसी पर यूज किया जाए तो शायद इन तरंगों को पकड़ा जा सके.