Flying Dinosaur Fossil: वैज्ञानिकों ने उड़ने वाले डायनासोर यानी टेरोसॉर की अज्ञात प्रजाति का पता लगाया है. उन्हें ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी क्वींसलैंड में 10 करोड़ साल पुराना जीवाश्‍म मिला था. यह जीवाश्‍म टेरोसॉर की नई प्रजाति Haliskia petersensi का है. नई खोज से पता चलता है कि क्रेटेशियस काल में टेरोसॉर कहीं बड़े भूभाग में फैले थे. 2021 में इस जीवाश्म की खोज हुई थी और उस पर चली स्टडी के नतीजे Scientific Reports जर्नल में छपे हैं.


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नई खोज कई वजहों से अहम है. हमें अभी तक अज्ञात रही टेरोसॉर की प्रजाति का पता लगा. उसका कंकाल ऐसे महाद्वीप से मिला है जहां टेरोसॉर के जीवाश्‍म कम मिलते रहे हैं. यह जीवाश्‍म अभी तक ऑस्ट्रेलिया में मिले कंकालों की तुलना में पूर्ण है. H.peterseni के कंकाल में खोपड़ी का हिस्सा, उसका पूरा जबड़ा, दो कशेरुक, 12 पसलियां, दो गैस्ट्रालिया, साथ ही कई फालैंगेस, मेटाटार्सल और अंकलियां शामिल हैं.


बड़े-बड़े पंखों के सहारे उड़ता था यह डायनासोर


H.peterseni थूथन-शिखा वाले, दांतदार टेरोसॉर के समूह से जुड़ा है, जिन्हें एन्हैंगुएरियन कहा जाता है. ये दुनिया भर में पाए गए हैं. इस समूह में अब तक के सबसे बड़े टेरोसॉर में से एक, ऑर्निथोचेरस सिमस भी शामिल है, जिसके पंखों का फैलाव 12 मीटर से अधिक था. आज के अधिकांश बाजों के पंखों का फैलाव 2 - 2.5 मीटर तक होता है, जबकि अल्बाट्रॉस का विंगस्पैन इससे एक मीटर अधिक हो सकता है.


रिसर्चर्स का अनुमान है कि इस टेरोसॉर के पंखों का फैलाव 4.6 मीटर तक रहा होगा. इसकी खोपड़ी और जबड़े की बनावट से पता चलता है कि टेरोसॉर की 'एक मजबूत, मांसल जीभ थी… जो प्रमुख तालु रिज के खिलाफ जीवित, फिसलन वाले शिकार को स्थिर करने में मदद करती थी. इसके जीवाश्‍म को क्रोनोसॉरस कोर्नर म्यूजियम में रखा जाएगा.


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जिस दौर में Haliskia जीवित थे उस समय ऑस्ट्रेलिया, गोंडवाना नाम के सुपर महाद्वीप का भाग था. गोंडवाना में आज का साउथ अमेरिका, अफ्रीका, अंटार्कटिका, अरब प्रायद्वीप और भारतीय उपमहाद्वीप भी शामिल था.