Iceland Volcanic Eruption News: आइसलैंड के नीचे की धरती फिर उबलने लगी है. रेक्जेन्स प्रायद्वीप में मौजूद ज्वालामुखी करीब 800 साल तक शांत रहने के बाद अचानक सक्रिय हो गए हैं. 2021 के बाद से आठ बार ज्वालामुखी विस्फोट हो चुका है. नई रिसर्च बताती है कि ज्वालामुखी विस्फोटों का यह सिलसिला इतनी जल्दी नहीं थमने वाला. आइसलैंड में ज्वालामुख‍ियों से लावा कई दशकों तक निकलता रह सकता है.


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छह देशों के रिसर्चर्स की संयुक्त स्टडी बताती है कि ज्वालामुखी गतिविधि के पीछे मैग्मा का एक छिछला पूल है जो सिर्फ 10 किलोमीटर चौड़ा है. यह मैग्मा धरती की सतह से सिर्फ 9-12 किलोमीटर नीचे मौजूद है. रिसर्चर्स को लगता है कि यह मैग्मा रेक्जेन्स प्रायद्वीप में दशकों तक ज्वालामुखी विस्फोट जारी रख सकता है. स्टडी का नेतृत्व स्वीडन की उप्साला यूनिवर्सिटी में जियोलॉजिस्ट वैलेंटाइन ट्रोल ने किया. यह स्टडी Terra Nova में छपी है.


धरती के नीचे बना मैग्मा का पूल!


ट्रोल और उनके सहयोगियों ने ज्वालामुखी विस्फोटों और भूकंप के 'झुंडों' से मिले भूकंपीय तरंगों के आंकड़ों का उपयोग किया. उन्होंने दक्षिण-पश्चिम आइसलैंड में रेक्जेनेस प्रायद्वीप की सतह का मानचित्र बनाया. देश की अधिकांश आबादी इसी इलाके में रहती है. उन्होंने पाया कि Fagradalsfjall ज्वालामुखी सिस्टम के 2021 के विस्फोटों को मैग्मा के एक पॉकेट से पोषण मिला था. बाद में यह मैग्मा सुंधनुकुर तक बह गया, जहां ज्वालामुखी 2023 के आखिर से ही लावा उगल रहे हैं.


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विस्फोट वाले दोनों इलाकों के लावा में एक जैसे जियोकेमिकल लक्षण मिले हैं जो 'आपस में जुड़े हुए मैग्मा प्लम्बिंग सिस्टम' की ओर इशारा करते हैं. ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है कि यह मैग्मा पूल 2002 और 2020 के बीच बना. 2023 में यह फिर रीचार्ज हुआ और छिछली गहराइयों से लगातार मैग्मा सप्लाई कर रहा है. मेंटल की गहराई में स्थित चट्टानों के पिघलने से मैग्मा का भंडार फिर भर जाता है. इसी आधार पर विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह मैग्मा आने वाले कई दशकों तक विस्फोटों को बढ़ावा दे सकता है.


मैग्मा पूल की पहचान के बाद अब उसकी मैपिंग की जा सकती है. हो सकता है कि लोगों को बार-बार इलाके से बाहर निकालना पड़े. बार-बार ज्वालामुखी विस्फोट से इंफ्रास्ट्रक्चर को भी खासा नुकसान हो सकता है.