वॉशिंगटन: मंगल ग्रह और चांद पर बस्तियां बसाने की योजना बना रहे इंसानों को वैज्ञानिकों के एक दल ने बड़ा झटका दिया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इंसान दूसरे ग्रह की यात्रा करता है तो जल्‍द अंधा हो सकता है. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा है कि अंतरिक्षयात्री धरती पर आने के बाद ये मांग करते हैं कि उन्‍हें चश्‍मा दिया जाए.


गुरुत्‍वाकर्षण का आंखों पर असर


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शोधकर्ताओं ने इंसान के दिमाग और गुरुत्‍वाकर्षण के आंखों पर पड़ने वाले असर की जांच की. इस शोध के बाद अब वैज्ञानिकों को यह डर सता रहा है कि अंतरिक्ष में भविष्‍य में बनने वाली किसी बस्‍ती में आंखों की दृश्‍यता के बिना ही इंसान को रहना पड़ सकता है.


वैज्ञानिकों ने SANS सिंड्रोम की जांच की है और अंतरिक्ष में जाने और आने के बाद के दिमाग के स्‍कैन की तुलना की है. उन्‍होंने दावा किया कि जितने लंबे समय तक अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष में रहेंगे, उतना ज्‍यादा उन्‍हें धरती पर आने के बाद धुंधली रोशनी और आंखों से जुड़ी समस्‍या से जूझना पड़ सकता है.


स्पेस में जाते समय अतिरिक्त चश्मे ले जाने लगे अंतरिक्षयात्री


अमेरिका के मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना के वैज्ञानिक मार्क रोजेनबर्ग ने कहा, 'यह पहलू उन्‍हें तब पता चला जब अंतर‍िक्षयात्री स्‍पेस में जाते समय चश्‍मे के अतिरिक्‍त जोड़े ले जाने लगे. वे जानते हैं कि उनकी आंखें वहां रहने के दौरान खराब होने जा रही हैं.' 


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इससे पहले नासा के एक पूर्व प्रमुख डॉक्‍टर जिम ग्रीन ने कहा था कि मंगल ग्रह पर इंसान रह सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन्‍हें लाल ग्रह के चारों ओर एक चुंबकीय बल क्षेत्र बनाना होगा. जिम ने कहा कि हमारे सोलर सिस्‍टम के सभी ग्रहों में मंगल ग्रह सबसे ज्‍यादा इंसानों के बसने योग्‍य है.