Climate Change News: जलवायु परिवर्तन ने जानवरों की प्रजनन प्रक्रिया को प्रभावित किया है. हाल के सालों में सामने आए कई अध्‍ययन इसकी पुष्टि करते हैं. एक नई रिसर्च बताती है कि कुछ कीटों को सेक्स के लिए साथी ढूंढने में मुश्किल आ रही है. इस मुश्किल की वजह है जलवायु परिवर्तन. दरअसल यह कीड़ा जिस रंग में आकर प्रजनन करता है, उसमें तापमान बढ़ने से बदलाव आया है.


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रिसर्चर्स ने एम्बुश बग (घात लगाकर रहने वाले कीड़े) का उदाहरण दिया है. Ecology and Evolution जर्नल में छपे लेख में बताया गया है कि नर एम्बुश बग में रंग पैटर्न से यौन चयन कैसे प्रभावित होता है. स्टडी के अनुसार, वातावरण में गर्मी के आधार पर नर कीट का रंग गहरा हो जाता है. यह संभोग के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि गहरे रंग के नर अधिक मादाओं को आकर्षित करते हैं.


कीट की सेक्स लाइफ से ग्लोबल वार्मिंग का क्या लेना-देना?


कीड़ों के रंग असल में पिगमेंटेशन का नतीजा होता हैं जिसमें तापमान मदद करता है. उनके शरीर का रंग कीटों की कई तरह से मदद करता है, कैमोफ्लेज से लेकर प्रजनन साथी को आकर्षित करने तक. कीड़ों पर रंग संचार का एक तरीका भी है. यौन संकेतों के अलावा, रंग शिकारियों से सुरक्षा का भी काम करते हैं.


स्टडी में कहा गया है कि ये रंग 'तापमान पर निर्भर' हैं और उसके जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने की संभावना है. स्टडी में पुष्ट सबूत तो नहीं दिए गए, लेकिन इसका उद्देश्य कीटों पर जलवायु-प्रेरित रंग परिवर्तन के असर को जाहिर करना था.


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जलवायु परिवर्तन और कीटों का रंग


स्टडी के मुताबिक, कीटों के रंगों की मात्रा और गुणवत्ता - तापमान, बारिश और सोलर रेडिएशन सहित - पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित हो सकती है. तापमान सीधे पिगमेंट प्रोडक्शन को प्रभावित करता है. ठंडे वातावरण में कीटों का रंग गहरा होता है, क्योंकि मेलेनिन का उत्पादन अधिक होता है.  स्टडी में बताया गया कि आर्द्रता भी कीटों का रंग बदल सकती है, यहां तक कि एक ही जीव में भी.