ISRO Chandrayaan 4 Moon Mission: भारत अंतरिक्ष की दुनिया में चंद्रयान-3 की चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग कराकर पहले इतिहास रच चुका है. अब ISRO इस खुशी को और दोगुनी करने के लिए बड़े प्लान पर काम कर रहा है. ISRO भारत के चौथे मून मिशन को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियों में जुट गया है. ISRO प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक चंद्रयान-4 को दो भागों में लॉन्च किया जाएगा. 


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दो हिस्सों में भेजना पड़ रहा स्पेसक्राफ्ट


चंद्रयान-4 को दो हिस्सों में इसलिए भेजना पड़ रहा है क्योंकि ये इतना भारी है कि उसे ISRO का सबसे ताकतवर रॉकेट भी नहीं ले जा सकता.
लिहाज़ा, स्पेसक्राफ्ट के अलग-अलग पार्ट्स को दो बार में लॉन्च करके ऑर्बिट में भेजा जाएगा. फिर अंतरिक्ष में इन दोनों भागों को एक कर स्पेसक्राफ्ट तैयार होगा, जिसे डॉकिंग कहते हैं. 


अंतरिक्ष में असेंबल होगा स्पेसक्राफ्ट


ये शायद पहली बार होगा जब किसी स्पेसक्राफ्ट को टुकड़ों में लॉन्च करके अंतरिक्ष में असेंबल किया जाएगा. यही नहीं ISRO चंद्रयान-4 के अलावा तीन और प्रोजेक्ट्स के लिए सरकार का अप्रूवल लेगी जो उसके विजन 2047 का हिस्सा हैं. भारत 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन तैयार करना चाहता है, जबकि 2040 तक चंद्रमा पर इंसान को भेजने की भी योजना है. 


चंद्रमा पर इसरो चौका लगाने के लिये तैयार है. ISRO भारत के चौथे मून मिशन को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियों में जुट गया है. ISRO प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक चंद्रयान-4 को दो भागों में लॉन्च किया जाएगा. 


भारत के लिए कितना बड़ा होगा ये मिशन?


चंद्रमा की तरफ जाते हुए रास्ते में ही चंद्रयान 4 के हिस्सों को अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा. यानी एक तरफ यात्रा हो रही होगी और दूसरी तरफ चंद्रयान-4 को एक-दूसरे से जोड़ा जा रहा होगा. अंतरिक्ष में चंद्रयान-4 के दोनों हिस्सों को जोड़कर एक स्पेसक्राफ्ट तैयार होगा, जोड़ने की इस प्रक्रिया को डॉकिंग कहते हैं.


काफी चैलेंजिंग रहेगा मून मिशन


इसरो चीफ सोमनाथ के मुताबिक सारी प्लानिंग पहले ही हो चुकी है. कौन का हिस्सा कब लॉन्च होगा. उसे कैसे जोड़ा जाएगा और फिर ये स्पेसक्राफ्ट किस तरह से चंद्रमा पर उतरेगा. इसको लेकर हर एक तैयारी हो चुकी है. हालांकि ये मिशन काफी चैलेंजिंग होने वाला है. 


क्या चुनौतियां आ सकती हैं?


आगे चलकर इसरो अपने इसी अनुभव का इस्तेमाल करके अपना स्पेस स्टेशन भी तैयार करेगा. भारत 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन तैयार करना चाहता है, जबकि 2040 तक चंद्रमा पर इंसान को भेजने की भी योजना है. यही नहीं ISRO चंद्रयान-4 के अलावा तीन और प्रोजेक्ट्स के लिए सरकार का अप्रूवल लेगी, जो उसके विजन 2047 का हिस्सा हैं.


चंद्रयान-4 और चंद्रयान-3 में बड़ा अंतर ये है कि इस बार भारत का मिशन चांद पर उतरेगा और फिर वहां से मिट्टी के सैंपल लेकर वापस धरती पर लौटेगा.