Science News in Hindi: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है. एक प्रयोग में, भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष में लोबिया के बीजों (Cowpea) को अंकुरित करने में सफल रहे. अब इस पौधे ने अपनी पहली हरी पत्तियां उगाई हैं. लोबिया के ये बीज PSLV-C60 POEM-4 पर मौजूद 'कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज' (CROPS) में रखे हैं. POEM-4 अंतरिक्ष में भारत की पहली रोबोटिक आर्म है.


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अंतरिक्ष में ISRO का कमाल


CROPS मॉड्यूल में बीजों को एक नियंत्रित वातावरण में रखा गया, जहां उनके विकास की प्रक्रिया को मॉनिटर किया गया. इस प्रक्रिया के दौरान, काऊपी के अंकुरों ने न केवल अंकुरण दिखाया बल्कि अपनी पहली पत्तियां भी विकसित कीं. यह मॉड्यूल अंतरिक्ष में पौधों के विकास और उनकी व्यावहारिकता को समझने के लिए डिजाइन किया गया है.



अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी और रेडिएशन जैसे फैक्टर पौधों के विकास को प्रभावित करते हैं, और इस प्रयोग का मुख्य उद्देश्य इन प्रभावों का अध्ययन करना है. काऊपी को भारत में लोबिया के नाम से भी जाना जाता है. यह एक पौष्टिक और उगाने में आसान फसल है. इस फसल को अंतरिक्ष में उगाने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि यह तेजी से बढ़ने वाली फसलों में से एक है.


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क्यों हो रही ऐसी रिसर्च


अंतरिक्ष में पौधों की खेती पर स्टडी मानवता के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलती है. जब अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने और अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं की बात होती है, तो पौधों की भूमिका बेहद अहम हो जाती है. पौधे न केवल भोजन का स्रोत हैं, बल्कि ऑक्सीजन उत्पादन, पानी के रीसाइक्लिंग और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी हैं.


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