Science News in Hindi: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने समय से जंग जीत ली है. उसने अब तक के सबसे कम द्रव्यमान वाले एक्सोप्लैनेट (सौरमंडल के बाहर स्थित ग्रह) AF Leporis b का फोटो लिया है. JWST ने अभी तक जितने एक्सोप्लैनेट्स की तस्वीर ली है, उनमें से यह ग्रह अपने तारे के सबसे करीब है. JWST के पास इस ग्रह की फोटो लेने का बेहद कम समय था नहीं तो यह अपने तारे की चमक में खो जाता. फिर शायद अगले 10 साल तक इसे देखने का मौका नहीं मिलता.


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AF Leporis b नामक ग्रह कई मायनों में खास है. 2023 में यह सौरमंडल के बाहर मौजूद सबसे कम द्रव्यमान वाला ग्रह बन गया था जिसे प्रत्यक्ष तौर पर देखा गया था. इसके बाद, यह सबसे कम द्रव्यमान वाला ग्रह बन गया जिसका द्रव्यमान 'एस्ट्रोमेट्री' के जरिए मापा गया. यह एक ऐसी तकनीक है जो किसी तारे की गति पर कई सालों तक नजर रखती है, ताकि परिक्रमा कर रहे ग्रह के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण पैदा हुई 'डगमगाहट' की पहचान की जा सके.


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बृहस्पति से 3.2 गुना भारी है AF Leporis b


AF Leporis b बेहद नौजवान ग्रह है जिसकी उम्र सिर्फ 2.3 करोड़ साल बताई जाती है. इसकी तुलना में पृथ्‍वी की उम्र 4.6 बिलियन साल मानी जाती है. AF Leporis b का द्रव्यमान बृहस्पति के द्रव्यमान से 3.2 गुना ज्यादा है. इसकी चौड़ाई बृहस्पति का 1.2 गुना है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक्सोप्लैनेट पृथ्‍वी से 88 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है.


इतना धुंधला फोटो क्यों?


रिसर्चर काइल फ्रैंसन ने एक बयान में कहा कि वैसे तो JWST बेहद संवेदनशील है, मगर यह जमीन पर मौजूद हमारे सबसे बड़े टेलीस्कोप से छोटा है. लंबी वेवलेंथ्‍स से देखने पर चीजें धुंधली नजर आती हैं. चूंकि AF Leporis b हमसे 88 प्रकाश वर्ष दूर है, JWST को यह एक छोटे, धुंधले बिंदु के रूप में दिखाई देता है. एस्ट्रोनॉमर्स उसी से इस ग्रह के बारे में काफी कुछ जान पाए हैं.


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वैज्ञानिकों के मुताबिक, AF Leporis b का वायुमंडल बेहद सक्रिय है. इसके ऊपरी और निचले स्तरों में संवहन धाराएं तत्वों को मिलाती रहती हैं. रिसर्च टीम को अनुमान से कहीं ज्यादा कार्बन मोनो ऑक्साइड की मौजूदगी का भी पता चला. उनकी रिसर्च के नतीजे 'द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल' में छपे हैं.


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