Scientific Reason Behind Makar Sankranti: Makar Sankranti 2023: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस बेहद खास दिन से सूर्य देवता मकर राश‍ि में प्रवेश करते हैं. ज्योतिषीय मान्यताओं से इतर इस पर्व का सीधा-सीधा वैज्ञानिक संबंध है यानी इसके पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण भी है.


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संक्रांति का अर्थ


हिंदू कैलेण्‍डर सूर्य की गति पर आधारित है. जितने समय में पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाती है, उस अवधि को सौर वर्ष कहते हैं. सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है. इस तरह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहते हैं. इसके साथ ही, पृथ्वी अपने उत्तरी भाग में घूमना शुरू कर देती है जो ये दिखाता है कि गर्मियां शुरू हो रही हैं. इससे पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में था जिसके कारण भारत में रातें बड़ी और दिन छोटे हो रहे थे.


वैज्ञानिक कनेक्शन


खगोलवैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्‍वी के घूर्णन की वजह से हर 6 महीने में सूर्य की किरणों का पृथ्‍वी पर एंगल बदलता है. यह 6 महीने दक्षिणायन और 6 महीने उत्‍तरायण में रहता है. मकर संक्रांति पर दिन और रात दोनों का समय बराबर होता है. मकर संक्रांति से सूर्य उत्‍तरायण होते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक 4 जनवरी को पृथ्‍वी सूर्य के सबसे करीब होती है, लेकिन सूर्य की किरणें उस पर सही तरह से नहीं पड़ती हैं, इसलिए ठंड रहती है. वहीं, उत्‍तरायण के बाद से धीरे-धीरे सर्दियां खत्म हो जाती है. उत्तरायण में दिन बड़े हो जाते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं.


मकर संक्रांति - एक ऋतुपर्व


सूर्य के राशि परिवर्तन से दो-दो माह में ऋतु बदलती है. मकर संक्रांति एक ऋतु पर्व है. यह दो ऋतुओं का संधिकाल है. यानी इस समय एक ऋतु खत्म होती है और दूसरी शुरू होती है. मकर संक्रांति सूर्य के दिनों यानी गर्मी के आगमन का प्रतीक पर्व है. ये त्योहार शीत ऋतु के खत्म होने और वसंत ऋतु के शुरुआत की सूचना देता है. इस दिन शीत ऋतु होने के कारण खिचड़ी और तिल-गुड़ का सेवन किया जाता है. यह अन्न शीत ऋतु में हितकर होता है. इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को मनाई जाने वाली है. ये त्योहार नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, कंबोडिया, म्यांमार और थाइलेंड में भी अलग-अलग परंपराओं और नामों के साथ मनाया जाता है.


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