Science News: ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने पृथ्‍वी के कोर से जुड़ी चौंकाने वाली खोज की है. उन्होंने कोर में एक बड़े क्षेत्र का पता लगाया है जो 'डोनट' के आकार का है. रिसर्चर्स के मुताबिक, भूमध्य रेखा के आसपास कोर का एक बड़ा डोनट आकार का क्षेत्र है, जो कुछ सौ किलोमीटर मोटा है. यहां पर भूकंपीय तरंगें बाकी कोर की तुलना में लगभग 2% धीमी गति से चलती हैं. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर, जियोफिजिक्स के प्रमुख और वार्रामुंगा ऐरे के निदेशक हर्वोज त्कालसीक और उनके सहयोगी जियालोंग मा ने यह खोज की है.


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हमारे पैरों के नीचे, करीब 2890 किलोमीटर की गहराई पर तरल धातु की एक विशाल गेंद मौजूद है, जो ग्रह का कोर कहलाती है. वैज्ञानिक भूकंप से पैदा होने वाली भूकंपीय तरंगों का उपयोग एक तरह के अल्ट्रासाउंड के रूप में करते हैं, जिससे वे पृथ्वी के केंद्र के आकार और संरचना को 'देख' सकते हैं.


भूकंपीय डिटेक्टरों की मदद से हुई खोज


प्रोफेसर हर्वोज के अनुसार, उन्हें लगता है कि इस क्षेत्र में सिलिकॉन और ऑक्सीजन जैसे हल्के तत्व मौजूद हैं. यह क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने वाले कोर के माध्यम से बहने वाली तरल धातु की विशाल धाराओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. उनकी रिसर्च के नतीजे सोमवार को Science Advances पत्रिका में छपे हैं.


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वैज्ञानिकों ने ध्रुवों के नजदीक भूकंपीय डिटेक्टरों में जो देखा, उसकी तुलना भूमध्य रेखा के नजदीक के नतीजों से की. कुल मिलाकर, ध्रुवों के पास पाई गई तरंगें भूमध्य रेखा के नजदीक की तरंगों से ज्यादा तेज चल रही थीं. रिसर्चर्स ने कई कंप्यूटर मॉडलों और सिमुलेशंस का सहारा लिया, यह समझने के लिए कि कोर की किन परिस्थितियों से ऐसे नतीजे आ सकते हैं.


आखिर में, उन्होंने पाया कि भूमध्य रेखा के आसपास बाहरी कोर में एक टोरस - एक डोनट के आकार का क्षेत्र - होना चाहिए, जहां तरंगें अधिक धीमी गति से चलती हैं.


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पुरानी रिसर्च को गलत साबित कर रही नई स्टडी


पिछली स्टडीज में यह कहा गया कि बाहरी कोर की 'छत' के आसपास हर जगह तरंगें अधिक धीमी गति से चलती हैं. हालांकि, नई रिसर्च दिखाती है कि कम वेग वाला क्षेत्र केवल भूमध्य रेखा के पास है.


पृथ्वी के बाहरी कोर की त्रिज्या लगभग 3,480 KM है। इसमें मुख्य रूप से लोहा और निकल होता है, साथ ही सिलिकॉन, ऑक्सीजन, सल्फर, हाइड्रोजन और कार्बन जैसे हल्के तत्वों के कुछ अंश भी होते हैं. बाहरी कोर का निचला हिस्सा ऊपर वाले हिस्से से ज्यादा गर्म होता है, और तापमान के अंतर के कारण तरल धातु चूल्हे पर उबलते बर्तन में पानी की तरह हिलती रहती है.


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