Science News in Hindi: अंटार्कटिका की एनिग्मा झील ने वैज्ञानिकों को दशकों तक इस भ्रम में रखा कि यह सतह से लेकर तल तक पूरी तरह जमी हुई है. 2019 में एक अद्भुत खोज हुई. तब झील की सतह से 11 मीटर नीचे तरल पानी की मौजूदगी का पता लगा. अब वहां पर एक अनोखा और प्राचीन इकोसिस्टम मिला है. वैज्ञानिकों ने अनोखे सूक्ष्मजीवों के नमूने हासिल किए हैं, जो 9 मीटर (30 फीट) से अधिक ठोस बर्फ के नीचे तरल ताजे पानी के एक बड़े चैंबर में जीवित बचे हुए हैं.


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यह खोज झील की गहराई में दबे किसी टाइम कैप्सूल के हाथ लगने जैसी है. यह इकोसिस्टम शायद बर्फ के इस संसार के भीतर 14 मिलियन सालों से अस्तित्व में है. वे तब से यहां पर हैं जब पृथ्वी के बहुत अधिक गर्म होने के बाद झील पहली बार जम गई थी.


एनिग्मा झील: एक रहस्यमय जगह


एनिग्मा झील, अंटार्कटिका की स्थायी रूप से जमी हुई झीलों में से एक है. अत्यधिक ठंड और मोटी बर्फ की चादर के कारण इसे लंबे समय तक जीवन के लिए अनुपयुक्त माना गया था. यहां के ठंडे, अंधकारमय और ऑक्सीजन-रहित वातावरण ने वैज्ञानिकों को यह मानने पर मजबूर कर दिया कि यहां कोई जीवित प्रजाति नहीं हो सकती. फिर 2019 में, बर्फ की मोटी परत में गहराई से ड्रिल करने पर वैज्ञानिकों को झील की सतह से 11 मीटर नीचे तरल पानी का एक विशाल जलाशय मिला.


एनिग्मा झील और उसके आस-पास के क्षेत्र की पानी के नीचे और सतह की फोटोज. (Photos : Smedile et al., Communications Earth & Environment, 2024)

यह चौंकाने वाला था क्योंकि इस गहराई पर पानी का तरल रूप में होना लगभग असंभव माना गया था. शोधकर्ताओं के अनुसार, पृथ्वी की आंतरिक गर्मी और बर्फ के नीचे दबाव ने इस पानी को जमने से रोका.


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बर्फ के नीचे दबा पूरा संसार


एनिग्मा झील का सबसे रोमांचक पहलू इसका बर्फ के नीचे छिपा हुआ प्राचीन पारिस्थितिक तंत्र है. वैज्ञानिकों ने झील के पानी में माइक्रोबियल जीवन के सबूत खोजे, जो लाखों सालों से पृथ्वी के बाकी हिस्सों से पूरी तरह से अलग-थलग हैं. यह सूक्ष्मजीव कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रहने की अद्भुत क्षमता रखते हैं.


इस खोज का महत्व केवल पृथ्वी तक ही सीमित नहीं है. यह उन संभावनाओं की ओर भी इशारा करता है कि बर्फीले ग्रहों और चंद्रमाओं जैसे यूरोपा (बृहस्पति का चंद्रमा) और एन्सेलेडस (शनि का चंद्रमा) पर भी जीवन हो सकता है. एनिग्मा झील यह यह दिखाती है कि जीवन उन जगहों पर भी पनप सकता है जहां इसे असंभव समझा जाता है.


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वैज्ञानिक अब यहां के पारिस्थितिक तंत्र का और गहराई से अध्ययन करना चाहते हैं. यह जानना जरूरी है कि ये सूक्ष्मजीव कैसे ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और किस प्रकार की जैविक प्रक्रियाएं यहां सक्रिय हैं. ये अध्ययन न केवल पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगे, बल्कि ब्रह्मांड में जीवन की खोज के लिए भी नए रास्ते खोलेंगे. यह रिसर्च Nature : Communications Earth & Environment में छपी है.


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