Science News: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने एक नजदीकी तारे की ऐसी तस्वीरें ली हैं, जिन्हें देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं. उन्होंने इससे पहले किसी तारे को एकदम परफेक्ट 'पैनकेक-जैसी डिस्क' से घिरा नहीं देखा था. डिस्क की मौजूदगी से यह संकेत मिलता है कि 'वेगा' नामक इस तारे के आसपास कोई ग्रह नहीं बना होगा. ऐसा क्यों है, वैज्ञानिकों को इस बारे में कोई आइडिया नहीं.


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'वेगा' एक नीले रंग का तारा है जो सूर्य से लगभग दोगुना बड़ा है. यह पृथ्वी से लगभग 25 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. यह नंगी आंखों से दिखाई देने वाला पांचवां सबसे चमकीला तारा है. पिछले 20 साल से, खगोलशास्त्री वेगा के चारों ओर मौजूद धूल और गैस की 161 बिलियन किलोमीटर चौड़ी डिस्क का अध्ययन कर रहे हैं. यह प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क के समान है, जिसने लगभग 4.5 बिलियन वर्ष पहले, सूर्य के जन्म के तुरंत बाद, सौरमंडल में ग्रहों को जन्म दिया था.


एकदम देवताओं जैसा आभामंडल


वेगा तारा करीब 500 करोड़ साल पुराना है, यानी यह ग्रहों को जन्म देने में सक्षम होना चाहिए. लेकिन, देखने पर डिस्क में कोई छेद नजर नहीं  आते, जिससे यह पता चलता है कि इस तारे के पास किसी ग्रह का निर्माण नहीं हुआ है. यह डिस्क फिल्मों और तस्वीरों में देवताओं के पीछे दिखने वाले आभामंडल जैसी है.


'वेगा' तारे का फोटो. ऊपर वाला फोटो JWST ने लिया है जबकि नीचे वाला हबल टेलीस्कोप ने. (Photos: NASA)

एक नई स्टडी में, रिसर्चर्स ने JWST की मदद से 'वेगा' की डिस्क पर नजर डाली. जो तस्वीरें सामने आईं, वे अब तक की सबसे साफ तस्वीरें हैं. रिसर्चर्स के मुताबिक, वेगा की डिस्क 'पैनकेक जैसी चिकनी दिखाई देती है, ग्रहों का कोई संकेत नहीं.' स्टडी के सह-लेखक और एरिजोना विश्वविद्यालय में एस्ट्रोनॉमर एंड्रास गैस्पार ने बयान में कहा, 'वेगा डिस्क चिकनी है, बेहद चिकनी. यह एक रहस्यमय प्रणाली है क्योंकि यह उन अन्य परितारकीय डिस्क से अलग है जिन्हें हमने देखा है.'


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हबल की तस्वीरों ने भी किया कंफर्म


इन्हीं रिसर्चर्स ने हबल स्पेस टेलीस्कोप के जरिए भी वेगा की तस्वीरें लीं. इन तस्वीरों में भी वैसी ही एकरूपता है जो JWST से ली गई तस्वीरों में थीं. दोनों तस्वीरों में वेगा के चारों ओर एक काली पट्टी देखी जा सकती है. हालांकि, यह 'गैप' जो तारे से लगभग 60 खगोलीय इकाइयों (सूर्य से नेपच्यून की दूरी से दोगुनी) की दूरी पर दिखाई देता है, तारकीय विकिरण द्वारा वेगा से दूर उड़ाए जा रहे छोटे धूल कणों का नतीजा है, न कि किसी एक्सोप्लैनेट की वजह से.


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