नई दिल्ली: नासा के सबसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट मार्स मिशन पर गए यान अब मंगल ग्रह (Mars) का चक्कर लगा रहे है और उसके बारे में जानकारियां भेज रहे हैं. इन आंकड़ों पर अभी वैज्ञानिक विश्लेषण जारी है. धरती पर भी सभी को मंगल पर नासा (NASA) के हेलीकॉप्टर इंजेन्यूटी की पहली उड़ान का बेसब्री से इंतजार है. नासा का पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) वहां पहुंच कर अपनी खोजबीन शुरू कर चुका है और बहुत जल्द वहां जीवन के प्रमाण की तलाश होने की संभावना है. इस दौरान एक अनोखा पत्थर (Rock) मिला है. इस तरह के पत्थर मंगल ग्रह पर आमौतर पर दिखाई नहीं देते हैं.


क्यों अजीब है यह पत्थर


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नासा ने इस अद्भुत पत्थर की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की है. आपको बता दें कि यह तस्वीर रोवर ने इसी महीने नासा को भेजी है. नासा का कहना है कि ये पत्थर उल्कापिंड से काफी मिलता हुआ दिख रहा है. नासा ने गुरुवार को इस पत्थर को लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें पर्सीवरेंस के वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि यह पत्थर क्या है, लेकिन यह असामान्य है.



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रोचक हो सकती है इसकी पड़ताल


नासा के पर्सीवरेंस ट्विटर हैंडल पर नासा के वैज्ञानिकों ने पर्सिवियरेंस रोवर की तरफ से इस पत्थर के बारे में जानकारी दी है, 'जबतक हेलीकॉप्टर तैयार हो रहा है, मैं खुद को आस पास के पत्थरों की पड़ताल से नहीं खुद को नहीं रोक सका. यह अलग तरह का पत्थर मेरी साइंस टीम के लिए बहुत सारे मत बना सकता है. यह पत्थर करीब छह इंच लंबा है.'


पर्सीवरेंस ने कैसे तोड़ा इसे


रोवर के ट्वीट के अनुसार, 'अगर आप ध्यान से इस पत्थर को देखेंगे तो आपको इसमें लेसर के निशान दिखेंगे. जहां मैंने इसे तोड़ा है.' पर्सीवरेंस रोवर के पास पत्थर तोड़ने वाला एक लेजर उपकरण है जो मंगल के भूगर्भीय आकड़ों को जमा करने में मदद के लिए विशेष रूपर से डिजाइन किया गया है.'


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VIDEO



आवाज की भी हुई रिकॉर्डिंग


नासा  के अनुसार इस लेजर प्रक्रिया की आवाज को माइक्रोफोन ने रिकॉर्ड किया था. इस ऑडियो को शेयर करते समय नासा ने लिखा था कि जैपिंग की आवाज की तीव्रता में विविधता इस पत्थर की भौतक संरचना के बारे में जनकारी देगी. इससे यह पता चलेगा कि ये पत्थर कितना कठोर है.


क्या कहते हैं वैज्ञानिक


वैज्ञानिक इस पत्थर की पड़ताल कर रहे हैं . वैज्ञानिकों को लगता है कि यह इस चट्टान का अपरदन हुआ होगा, लेकिन अभी कुछ भी कहा जाना मुमकिन नहीं है. गौरतलब है कि पर्सीवरेंस इसी साल 18 फरवरी को मंगल ग्रह के सबसे खतरनाक क्षेत्र जजीरो क्रेटर पर उतरा था. उम्मीद की जा रही है कि यह मंगल पर पुरातन जीवन के संकेत तलाशने में सफल होगा.


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