हांगकांग : जीन में बदलाव कर बच्चियों को जन्म देने के दुनिया के पहले मामले का दावा करने वाले चीनी वैज्ञानिक ने बुधवार को कहा कि इस अत्यंत विवादास्पद प्रक्रिया को लेकर दुनियाभर में नाराजगी सामने आने के बाद इस प्रयोग पर रोक लगा दी गयी है. हे जियानकुई ने हांगकांग में खचाखच भरी एक मेडिकल कान्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने एक एचआईवी संक्रमण ग्रस्त पिता के यहां जन्मीं दो बच्चियों के डीएनए में बदलाव किया.


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स्वेच्छा से लिया था प्रयोग में भाग-वैज्ञानिक
इस प्रयोग में कुल आठ दंपतियों ने स्वेच्छा से भाग लिया था जिनमें एचआईवी संक्रमण ग्रस्त पिता और एचआईवी-निगेटिव माताएं शामिल थीं. हे ने कहा, ‘‘मुझे इस बात के लिए खेद जताना चाहिए कि अनपेक्षित रूप से परिणाम लीक हो गये.’’उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा हालात की वजह से क्लीनिकल ट्रायल रोक दिया गया.’’ 


एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा कि उन्होंने चीन में हुए इस अनुसंधान कार्य में भाग लिया. अमेरिका में इस तरह के जीन-परिवर्तन प्रतिबंधित है क्योंकि डीएनए में बदलाव भावी पीढ़ियों तक अपना असर पहुंचाएंगे और अन्य जीन्स को नुकसान पहुंचने का खतरा होता है. मुख्यधारा के कई वैज्ञानिक सोचते हैं कि इस तरह का प्रयोग करना बहुत असुरक्षित है और कुछ ने इस संबंध में चीन से आई खबर की निंदा की.


क्या है जीन में बदलाव का मामला
कुछ वक्त पहले ही शेनझान के अनुसंधानकर्ता ही जियानकुई ने कहा था कि उन्होंने सात दंपतियों के बांझपन के उपचार के दौरान भ्रूणों को बदला जिसमें अभी तक एक मामले में संतान के जन्म लेने में यह परिणाम सामने आया. उन्होंने कहा कि उनका मकसद किसी वंशानुगत बीमारी का इलाज या उसकी रोकथाम करना नहीं है, बल्कि एचआईवी, एड्स वायरस से भविष्य में संक्रमण रोकने की क्षमता इजाद करना है जो लोगों के पास प्राकृतिक रूप से हो.