बोस्टन: वैज्ञानिकों ने शरीर के भीतर लगने वाली एक वायरलेस जीपीएस प्रणाली विकसित की है जो शरीर के भीतर लगाए जा सकने वाले इम्प्लांट के लिए सही जगह का पता लगा सकेगी और ट्यूमर पर भी नजर रख सकेगी. पशुओं पर किए गए परीक्षणों में वैज्ञानिकों की टीम ने दिखाया कि रिमिक्स नाम की प्रणाली सेंटीमीटर स्तर की सटीकता के साथ इम्प्लांट का पता लगा सकेगी. इसी तरह के इम्प्लांट की मदद से शरीर के भीतर विशिष्ट स्थानों तक दवा पहुंचाई जा सकेगी. इस प्रणाली का परीक्षण करने के लिए अमेरिका के मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और मेसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने पशुओं के उत्तकों में छोटे मार्कर इम्प्लांट किए.


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मार्कर किस तरह अपना रास्ता तय करता है, यह पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने ऐसे वायरलेस उपकरण का इस्तेमाल किया जिसमें से रेडियो संकेत निकलते हैं. शरीर के भीतर लगे मार्कर को कोई वायरलेस संकेत देने की जरूरत नहीं है, बल्कि यह तो शरीर के बाहर के उपकरण से निकलने वाले संकेतों को परावर्तित करता है.


इसलिए उसमें बैटरी या कोई अन्य बाहरी ऊर्जा स्रोत लगाने की आवश्यकता नहीं है . इस तरह से वायरलेस संकेतों का उपयोग करने में मुख्य चुनौती व्यक्ति के शरीर की प्रतिक्रिया है. अकेले त्वचा से होने वाली प्रतिक्रिया अथवा परावर्तन या संकेत धातु के मार्कर के संकेतों की तुलना में 10 करोड़ गुना अधिक शक्तिशाली होते हैं.


इससे निपटने के लिए वैज्ञानिकों के एक दल ने एक विधि अपनाई जो त्वचा के संकेतों में हस्तक्षेप की प्रक्रिया को अलग ही कर देती है. इसके लिए एक सेमीकंडक्टर उपकरण ‘‘डायोड’’ का उपयोग किया गया जो संकेतों को आपस में मिला देता है. इसके बाद दल त्वचा से जुड़े संकेतों को अलग कर सकती है. रिमिक्स एक प्रोटॉन थैरेपी है. इसके लिए डॉक्टर विकिरण का उपयोग करते हैं लेकिन बेहद सटीकता के साथ. इसमें रिमिक्स की भूमिका मार्कर वाली होती है. 


इनपुट भाषा से भी