Uterus transplant: हाल में रितेश देशमुख की एक फिल्म आई जिसमें रितेश देशमुख को प्रेग्नेंट दिखाया गया है. फिल्म का नाम है, 'मिस्टर मम्मी'. कुछ लोगों ने जब यह फिल्म देखी तो हैरान हो गए कि आखिर कोई पुरुष कैसे गर्भधारण करके बच्चे को जन्म दे सकता है. इस फिल्म में रितेश बच्चे के बायोलॉजिकल मदर के किरदार में हैं. आपको बता दें कि ऐसा पहले भी हो चुका है और वो भी हकीकत में. जी हां, ऑफिशियल डाक्यूमेंट के नजरिए से देखे तो थॉमस बेट्टी दुनिया के पहले ऐसे पति थे जिन्होंने बेटी को जन्म दिया था.


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उस समय का ऐसा पहला केस


थॉमस का मामला थोड़ा अलग था. थॉमस पहले महिला थे बाद में उन्होंने शादी करने के लिए अपना सेक्स चेंज करा लिया था और वो पुरुष बन गए थे लेकिन इस दौरान उन्होंने अपना गर्भाशय नहीं हटवाया था. हालांकि बच्ची का जन्म ऑपरेशन के जरिए हुआ था और थॉमस अपनी बेटी को दूध नहीं पीला सकते थे.


पुरुषों के पिता बनने का कॉसेंप्ट


महिलाओं और पुरुषों की शरीरिक बनावट में रिप्रॉडक्टिव अंगों के हिसाब से काफी अंतर होता है. बायोएथिक्स की दुनिया में एक वक्त पर जोसेफ फ्लेचर का सिक्का चलता था. इन्हें बायोएथिक्स का पितामह भी कहा गया है. साल 1974 में फ्लेचर ने यूट्रस ट्रांसप्लांट को लेकर एक कॉसेंप्ट दिया. जोसेफ फ्लेचर ने अपनी किताब 'द एथिक्स ऑफ जेनेटिक कंट्रोल' में कहा कि यूट्रस ट्रांसप्लांट के जरिए आदमी भी बच्चों को जन्म दे सकते हैं. इसके साथ ही वह बच्चों को दूध भी पिला सकते है. दुनिया के कई रिप्रॉडक्टिव एंडोक्रिनोलॉजिस्ट भी इस बात को मानते हैं कि इन्फर्टिलिटी के बढ़ते केस की वजह से कल को पुरुषों को भी बच्चों को जन्म देना पड़ सकता है. मेडिकल साइंस हार्मोनल थेरेपी, जेंडर चेंज और रिप्रॉडक्टिव सिस्टम तैयार करने जैसी चीजें इजाद कर चुका है. अगर वह यूट्रस ट्रांसप्लांट को सही से अंजाम दे पाता है तो वो दिन दूर नहीं जब आईवीएफ (In Vitro Fertilization) के जरिए पुरुष भी बच्चे पैदा कर पाएंगे हैं.


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