Milky Way: आकाशगंगा ब्रह्मांड की अरबों आकाशगंगाओं में से एक है और हमारे अपने सौर मंडल का घर है. पृथ्वी से देखने पर यह आकाश में एक धुंधली पट्टी के रूप में दिखाई देता है. जिसमें अरबों की संख्या में तारें और ग्रह मौजूद हैं. अभी तक जितने भी ग्रह खोजे गए हैं, वे सभी आकाशगंगा में मौजूद हैं. आकाशगंगा रहस्यों से भरी हुई है. इसमें धूल, ग्रह, तारें, उल्कापिंड तैर रहे हैं. ऐसे में आइए जानें नट देवी की कहानी और आकाश गंगा से रिश्ता.


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 नट देवी का मिस्र देश से रिश्ता
नट देवी की सबसे अधिक मान्यता मिस्र देश में  मिली. वहां आकाश, सितारों, ब्रह्मांड का नट को देवी कहा जाता था. नट के बारें में जो प्राचीन कहानी है, उसके मुताबिक नट ‌को आकाश देवी के रूप में माना जाता है. नट की जो छवि बनाई गई उसमें  ज्यादातर नग्न मानव रूप में चित्रित किया गया. नट को कभी-कभी एक गाय के रूप में भी चित्रित किया गया था, जिसमें एक विशाल शरीर वाली गाय में आकाश बना था. 


नट का आकाश गंगा से रिश्ता 
जर्नल ऑफ एस्ट्रोनॉमिकल हिस्ट्री एंड हेरिटेज में प्रकाशित एक नए रिसर्क के मुताबिक आकाशगंगा मिल्की वे, मिस्र की देवी नट का प्रतीक हो सकती है. रिसर्च के मुताबिक आकाशगंगा, जिसे "द बर्ड्स पाथ" और "सिल्वर रिवर" जैसे नामों से भी जाना जाता है, नट से जुड़ी हुई थी. गिज़मोडो के अनुसार, प्राचीन मिस्र के धर्म में, देवी नट आकाश, सितारों और संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती थीं. देवता को अक्सर एक ऐसी महिला के रूप में चित्रित किया गया था जिसके पूरे शरीर पर तारे थे और वह अपने भाई, पृथ्वी देवता गेब के ऊपर झुकी हुई थी.


जानें क्या कहते हैं रिसर्च


पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के एक खगोल भौतिकीविद् ग्रेउर के मुताबिक आकाश-देवी नट पर ध्यान तब गया जब वह आकाशगंगाओं पर एक किताब लिख रहे थे और आकाशगंगाओं की पौराणिक कथाओं पर गौर कर रहे थे.  लेखक ग्रौर ने लिखते हैं  "मैंने आकाश-देवी नट का दोहरा विश्लेषण करने के लिए खगोल विज्ञान और मिस्र विज्ञान दोनों को संयोजित करने का निर्णय लिया, और यह भी कि क्या उसे वास्तव में जोड़ा जा सकता है आकाशगंगा की ओर."


दिन-रात का रिश्ता भी नट देवी से 
रिसर्च में बताया गया कि नट देवी ने दिन-रात होने में भी भूमिका निभाई है. अपने शोध में ग्राउर ने प्राचीन मिस्र के ग्रंथों का उल्लेख किया, जिसमें बुक ऑफ नट भी शामिल था, जिसका मूल रूप से शीर्षक था स्टार्स के कोर्स के फंडामेंटल. उन्होंने महसूस किया कि 'बुक ऑफ नट' देवी नट के सिर और पिछले हिस्से को पश्चिमी और पूर्वी क्षितिज के बराबर करती है, और उसकी भुजाएं उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में उसके शरीर के एक कोण पर फैली हुई हैं. इसके आधार पर दिन-रात की कहानी भी कही जाती है.