Avani Lekhara Story : पेरिस पैरालंपिक में भारतीय शूटर अवनी लेखरा ने इतिहास रचते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया. यह उनका लगातार दूसरा पैरालंपिक गोल्ड है. टोक्यो में हुए पैरालंपिक गेम्स में भी अवनी ने गोल्ड अपने नाम किया था. उन्होंने पेरिस में अपने ही पिछले सेट किए रिकॉर्ड को तोड़ा और नये रिकॉर्ड के साथ महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल SH1 इवेंट में गोल्ड मेडल जीता. अवनी के लगातार दो गोल्ड मेडल जीतने के पीछे कई सालों की मेहनत और जूनून है. बचपन में हुए भयानक रोड एक्सीडेंट के चलते लकवाग्रस्त होने से लेकर अब गोल्ड जीतने तक की उनकी संघर्ष की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है. आइए जानते हैं...


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12 साल की उम्र में व्हीलचेयर का लेना पड़ा सहारा


अवनी जयपुर, राजस्थान से आती हैं. 2012 में उनके साथ एक ऐसी सड़क दुर्घटना हुई, जिसने उनके जीवन को पूरी तरह से बदलकर रख दिया. सड़क दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आईं, जिससे वह लकवाग्रस्त हो गईं. इसके बाद उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा. 12 साल की छोटी सी उम्र में इतना कुछ होना किसी सदमे से कम नहीं, लेकिन अवनी ने हार नहीं मानी. 


पिता में हर कदम पर दिया साथ


अवनी के पिता ने उनकी रिकवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से खेलों को तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया. अपनी शारीरिक दिक्कतों के बावजूद अवनी के खेलों के प्रति जूनून ने उन्हें तीरंदाजी अपनाने के लिए प्रेरित किया, एक ऐसा खेल जिसमें सटीकता, ध्यान और अनुशासन की आवश्यकता होती है. अभिनव बिंद्रा की उपलब्धियों से मोटिवेट होकर अवनि ने 2015 में शूटिंग में कदम रखा. उनकी लगन और टैलेंट ने उन्हें जल्दी ही सफलता की ओर अग्रसर किया और उन्होंने नेशनल ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर जीत हासिल की. ​​उन्होंने जूनियर और सीनियर लेवल पर वर्ल्ड रिकॉर्ड सेट कर इतिहास रचा और अपनी पहचान बनाई.


ट्रेनिंग के साथ-साथ पढ़ाई


खेलों के गहरा लगाव रखने वाली अवनी ने ट्रेनिंग के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी की. व्यस्त ट्रेनिंग शेड्यूल के साथ-साथ अवनी ने राजस्थान विश्वविद्यालय में 5 साल के लॉ डिग्री प्रोग्राम में एडमिशन लिया. यह कदम उनके हुनर और कुछ भी कर गुजरने के जूनून को दर्शाता है. इन सबके साथ-साथ अवनी का नाम दुनियाभर में तब चमका जब उन्होंने 2021 पैरालंपिक में गोल्ड पर निशाना लगाया.


जीते थे दो मेडल


अवनी ने टोक्यो में हुए पिछले पैरालंपिक गेस्म में एक नहीं बल्कि दो मेडल अपने नाम किए. उन्होंने शूटिंग में ही पहले गोल्ड और फिर ब्रॉन्ज मेडल जीता. वह एक ही इवेंट में दो  मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरालिंपियन बनीं. उनकी जीत की गूंज पूरे देश में सुनाई दी. इस महान उपलब्धि के लिए अवनी को पद्म श्री और खेल रत्न जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया. 


ऐतिहासिक जीत पर जाहिर की खुशी


अवनी ने पेरिस में ऐतिहासिक गोल्ड मेडल जीतने के बाद, 'यह बहुत करीबी फाइनल था. पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के लिए बहुत कम अंतर था, लेकिन मैं नतीजों के बजाय अपने विचारों पर ध्यान लगा रही थी.' इस चैम्पियन निशानेबाज ने आगे कहा, 'मुझे खुशी है कि इस बार भी एरीना में बजने वाला पहला राष्ट्रगान भारत का था. मुझे अभी दो और इवेंट में हिस्सा लेना है, इसलिए मैं देश के लिए और मेडल जीतने पर ध्यान लगाए हूं.'