नई दिल्ली  : ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आज यानि 7 अक्टूबर से रांची में टी-20 मैचों की सीरीज का आगाज हो चुका है. इस सीरीज में 3 मैच खेले जा रहे हैं. पहला मैच 7 अक्टूबर को रांची में खेला गया, जिसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 9 विकेट से मात दी. दूसरा मैच 10 अक्टूबर को गुवाहाटी में खेला गया, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 8 विकेट से करारी शिकस्त दी. अब तीसरा मैच 13 अक्टूबर को हैदराबाद में खेला जाना है. पहले दो टी-20 मैचों में आशीष नेहरा को खेलने का मौका नहीं मिल पाया है. बता दें कि पिछले सप्ताह जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 टीम की घोषणा हुई थी और उसमें 38 साल के आशीष नेहरा का नाम शामिल किया गया थो तो बहुत से लोगो को आश्चर्य हुआ. यह आश्चर्य इसलिए भी हुआ क्योंकि टी-20 को युवाओं का खेल माना जाता है, लेकिन नेहरा इस मामले मे भाग्यशाली रहे. 


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38 साल के आशीष नेहरा ही नहीं, इन दिग्गजों ने भी दी क्रिकेट में उम्र को मात


हालांकि, उनका क्रिकेट करियर चोटों से भरा रहा है. उनकी प्रतिभा और कड़ी मेहनत पर बेशक किसी को शक नहीं है, लेकिन उनकी उम्र एक बड़ी बाधा है. भारत वर्ल्ड कप की तैयारियों मे लगा है. ऐसे मे युवा नए गेंदबाजों को मौका दिया जा सकता था. कौन हैं ऐसे गेंदबाज जिन्हें नेहरा की जगह आजमाया जा सकता था, आइए एक नजर डालते है : 


एक ऐसा खिलाड़ी जो अजहर से लेकर कोहली की कप्तानी में भी खेल रहा है


बासिल थंपी: आईपीएल 2017 के 'एमर्जिंग प्लेयर ऑफ दिन ईयर' थंपी को स्लिगर (तेजी से गेंद फेकने वाला) के रूप मे जाना जाता है. लेकिन उनके पास दो चीजें हैं, जो उन्हें बड़ा गेंदबाज बनाती है, उनकी स्पीड और यॉर्कर. क्रिकेट के इस छोटे फॉर्मेट मे थंपी महत्वपूर्ण गेदबाज साबित हो सकते है. वे बेहद चतुराई से स्लो गेंद डालते है, जो उनकी गेंदों में वैरिएशन पैदा करता है. इस साल आईपीएल मे बेशक विकेट उन्हें ज्यादा नहीं मिली, लेकिन कई मौकों पर उन्होने अपनी गेंदों से बल्लेबाजों को हैरान कर दिया. इस टूर्नामेंट मे 9.49 रन प्रति ओवर खर्च करके केवल 11 विकेट हासिल किए, लेकिन ये आकड़े उनकी प्रतिभा का मापक नहीं हैं. घरेलू क्रिकेट मे थंपी का कोई चम्तकारिक प्रदर्शन नहीं रहा है, लेकिन उनकी प्रतिभा से भी इंकार नहीं किया जा सकता. 23 साल के थंपी को अगर मौका मिलता है तो वह भविष्य के एक अच्छे गेंदबाज साबित हो सकते हैं. 


अंकित चौधरी: बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अंकित चौधरी 140 की स्पीड पर नियमित रूप से गेंद फेंकते है. उनकी स्पीड ही उन्हें सुर्खियों में लाई है. 2008 मे सबसे पहले ग्रेग चैपल की नजर इस गेंदबाज पर पड़ी थी. 2011 तक वह रणजी में खेलने लगे. चौधरी ने क्रिकेट पडितों को प्रभावित किया, लेकिन चोटों ने उन्हें उभरने का मौका नहीं दिया. पांच साल बाद 2016 में वह दोबार मजबूती के साथ उभरे. उन्हें टीम ए के लिए चुना गया. इस युवा गेंदबाज में आगे बढ़ने की पूरी संभावना है. उनके क्रिकट करियर में यदि इस समय उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का अवसर मिलता है तो वह भारत के लिए एसेट साबित हो सकते हैं. 


मोहम्मद सिराज: इस साल के शुरू मे मोहम्मद सिराज क्रिकेट जगत मे एक लोकप्रिय नाम बन चुका था. इसकी शुरुआत आईपीएल में उन्हें 2.6 करोड़ रुपए मे खरीद कर हुई. सिराज 23 साल के एक सीमर हैं, जिनमें अद्भुत क्षमताएं हैं. उनका लचीला और क्विक आर्म एक्शन बल्लेबाजों को खेलने मे परेशानी पैदा करता है. 2016 के रणजी ट्रॉफी सीजन में सिराज हैदराबाद टीम के प्रमुख तेज गेंदबाज थे. इस सीजन मे उन्होंने 41 विकेट लिए. पूरे टूर्नांमेट मे वह दूसरे नंबर के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे. इसके बाद आईपीएल मे भी सिराज ने अपने चयन को सही साबित किया. वह सनराइज हैदराबाद की टीम मे थे. सिराज बहुत अच्छे बांउसर और सटीक यॉर्कर डालने वाले गेंदबाज हैं. टी-20 में ये दोनों गुण होना बेहद जरूरी है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यदि टी-20 सीरीज मे सिराज को मौका मिलता तो वह घरेलू मैदान पर यह देखा जा सकता था कि उनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परफॉर्म करने की कितनी क्षमता है. 


संदीप शर्मा: संदीप शर्मा के पास स्पीड नहीं है. वे गेंदबाजी में अनुशासन और नियंत्रण के लिए जाने जाते हैं. वह क्रीज का बहुत अच्छा इस्तेमाल करते हुए एक कोण पर गेंद फेंकते हैं. वह हर परिस्थिति में गेंद को दोनों तरफ स्विंग करा सकते हैं. गेंदबाजी के उनके तरकश मे इनस्विंगर भी है, लेकिन लाइन पर फेंकी गई उनकी गेंदों को खेलना बल्लेबाजों के लिए कठिन होता है. संदीप शर्मा 2010 में अंडर 19 में उभरे. तब से वह लगातार परिपक्व गेंदबाज बन चुके हैं. आईपीएल के कई सीजन खेलने के बाद अब उनके पास पर्याप्त अनुभव भी है. वह पावरप्ले में रनों की रफ्तार धीमी करना जानते हैं. नई गेंद को वह दोनों ओर स्विंग करा सकते हैं. यदि 23 वर्षीय इस गेंदबाज को मौका दिया जाता तो टीम इंडिया के लिए यह एक आदर्श स्थिति हो सकती थी. संदीप शर्मा भविष्य का एक अच्छा गेंदबाज है. यह समय है जब उसे अंतरराष्ट्रीय मैचों मे खेलने का अवसर मिलना चाहिए था. 


जयदेव उनादकट: उम्मीदों और निराशाओं से उबर कर जयदेव उनादकट इस साल एक उम्दा गेंदबाज के रूप मे सामने आए हैं. बाएं हाथ के इस मीडियम पेसर की प्रतिभा पर कभी किसी को शक नही हुआ. लेकिन अपनी प्रतिभा के अनुरूप जयदेव कभी न्याय नहीं कर पाए. 2010 के अंडर 19 वर्ल्ड कप में यह गेंदबाज सुर्खियों में आया. उनादकट को टेस्ट में खेलने का मौका भी मिला, लेकिन वह परफॉर्म नहीं कर पाए. लिहाजा उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ा, लेकिन इस साल आईपीएल में राइजिंग पुणे सुपरजाइट की तरफ से खेलते हुए जयदेव उनादकट ने 12 मैचों मे 24 विकेट लिए. इंजरी से उबरने के बाद घरेलू सत्र भी उनादकट के लिए अच्छा रहा है. ऐसा लगता है कि उन्होंने अपनी रिदम और खोया हुआ आत्मविश्वास दोबारा पा लिया है. यह सही समय है जब चयनकर्ता उनादकट को एक मौका दे सकते हैं.