मुंबई: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने शनिवार को शीर्ष तक की अपनी यात्रा को याद किया और खुलासा किया कि भारतीय खिलाड़ी के रूप में उन्होंने ट्रेन में अनारक्षित सीट पर भी यात्रा की.
मिताली ने यहां ‘वी द वुमेन’ पहल के एक सत्र के दौरान कहा, ‘‘मेरी यात्रा के दौरान मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा. अब हम बीसीसीआई के अंतर्गत हैं लेकिन उस समय (जब महिला खिलाड़ी बीसीसीआई के अंतर्गत नहीं थी) हमें खिलाड़ी के रूप में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती थी. भारतीय क्रिकेटर के रूप में मैंने हैदराबाद से दिल्ली की यात्रा रेल से अनारक्षित सीट पर की. पुरुषों के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ.’’ 


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जोधपुर में जन्मीं मिताली ने कहा, ‘‘यही राहुल द्रविड़ ने कहा. भारतीय खिलाड़ी के रूप में उन्होंने कभी रेल से यात्रा नहीं की. लेकिन मैंने की. लेकिन इन मुश्किलों ने हमें मजबूत बनाया. महिला के रूप में हमें शुरुआती चरण में इतनी अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, इसके बाद जब हम परिपक्व हुए और चुनौतियों को स्वीकार किया, इसलिए हम मानसिक रूप से मजबूत हुए.’’ मिताली ने याद किया कि किस तरह उनके दादा-दादी उनके खेल से जुड़ने में सहज नहीं थे.


1999 में अपने पहले ही वनडे मुकाबले में आयरलैंड के खिलाफ उन्होंने नाबाद 114 रनों की पारी खेली थी. 19 साल की उम्र में मिताली ने टॉन्टन के मैदान में टेस्ट मैच में इंग्लैंड के विरुद्ध 214 रनों की पारी खेली. वह देश में रेलवे की टीम का प्रतिनिधित्व करती हैं.


टेस्ट और वनडे में दुनिया की सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज के रूप में पहचानी जाती हैं. मिताली राज का इंग्लैंड के ख़िलाफ़ बनाया गया 214 रन का स्कोर महिला टेस्ट इतिहास का दूसरा सर्वाधिक स्कोर है. एक टेस्ट पारी में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड पाकिस्तान की किरन बलोच के नाम पर है. उन्होंने वेस्ट इंडजी के विरुद्ध टेस्ट में 242 रन बनाए थे.


इस समय आईसीसी की रैंकिंग में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी हैं. उनके नेतृत्व में टीम इंडिया ने 2006 में इंग्लैंड के विरुद्ध सीरीज जीती. दुनिया की उन 6  महिला क्रिकेटरों में शामिल हैं, जिन्होंने वनडे क्रिकेट में 4000 से ज्यादा रन बनाए हैं.
इनपुट: भाषा