B`day Special: सफल बल्लेबाज के बाद अब कोच बन चुकी है टीम इंडिया की यह ‘दीवार’
राहुल द्रविड़ सफल बल्लेबाजी करियर के बाद अब सफल कोच के करियर की ओर हैं.
नई दिल्ली: शुक्रवार को टीम इंडिया की दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं. वैसे तो क्रिकेट के मैदान पर राहुल द्रविड़ अनेक रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं, लेकिन पिछला एक साल उनके लिए कुछ खास लेकर आया था. राहुल की ही शागिर्दी में अंडर 19 टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप भारत के नाम किया. इस जीत ने राहुल द्रविड़ को एक मंजे हुए कोच के रूप में स्थापित कर दिया.यही नहीं राहुल के ये चेले आईपीएल नीलामी में भी छाए रहे और अंडर 19 टीम इंडिया के कप्तान पृथ्वी शॉ ने तो टीम इंडिया में सफलतापूर्वक जगह बना ली. इतना ही नहीं अंडर 19 टीम के खिलाड़ी भी अपने गुरू राहुल को श्रेय देने से नहीं चूके. अब आलम यह है कि चर्चाएं इस बात की भी होने लगी हैं कि राहुल टीम इंडिया के कोच कब बनेंगे.
पहले ही टेस्ट मैच में खेली 95 रनों की पारी
किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी के लिए डेब्यू मैच बेहद अहम होता है. 11 जनवरी 1973 को इंदौर, मध्य प्रदेश में जन्में राहुल का डेब्यू भी कुछ अलग रहा. क्रिकेट के 'मक्का' कहे जाने वाले लॉर्ड्स में भारतीय टीम सीरीज खेलने के लिए मौजूद थी. यह 1996 की बात है. मोहम्मद अजहरुद्दीन टीम के कप्तान थे. राहुल द्रविड़ को चोटिल संजय मांजरेकर की जगह टीम में शामिल किया गया था. 20 जून 1996 को राहुल द्रविड़ ने टेस्ट में डेब्यू किया. अपने पहले ही मैच में राहुल ने धैर्यपूर्वक 95 रनों की पारी खेली. यह पारी संकते दे रही थी कि टीम इंडिया को तकनीकी रूप से मजबूत बल्लेबाज मिल गया है. 95 रनों की इस पारी के लिए राहुल ने 267 गेंदें खेली और केवल छह चौके लगाए. इस मैच में सौरव गांगुली ने शानदार 131 रनों की पारी खेली थी. मैच ड्रॉ रहा था.
विनोद कांबली के रिप्लेसमेंट के तौर पर हुए थे टीम इंडिया में शामिल
राहुल ने अपने वनडे क्रिकेट का आगाज 3 अप्रैल 1996 को किया. श्रीलंका के खिलाफ सिंगापुर में सिंगर कप में विनोद कांबली के रिप्लेसमेंट के रूप में राहुल द्रविड़ टीम इंडिया में शामिल किए गए. लेकिन पहले मैच में राहुल कुछ खास नहीं कर पाए. उन्हें तीन रन पर मुथैया मुरलीधरन ने आउट कर दिया. भारत की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 199 रन बनाए थे, लेकिन गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया और टीम इंडिया ने श्रीलंका को 12 रनों से हरा दिया. इस मैच के साथ ही राहुल द्रविड़ के वनडे करियर का आगाज हुआ.
द्रविड़ ने एकमात्र खेले टी-20 मैच में 3 छक्के जड़े थे
15 साल के अपने लंबे करियर में राहुल द्रविड़ इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने टी-20 में डेब्यू करने से पहले ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया. आज जब अधिकांश खिलाड़ी टी-20 खेलने का लोभ नहीं छोड़ पाते राहुल ने समझ लिया था कि टी-20 युवाओं का खेल है. उन्होंने एकमात्र खेले टी-20 में 21 गेंदों पर शानदार 31 रनों की पारी खेली थी. इसमें तीन छक्के शामिल थे.
ये खास रिकॉर्ड़ हैं राहुल के नाम
राहुल द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक गेंदों का सामना किया है. टेस्ट की 286 पारियों में उन्होंने 31, 258 गेंदों का सामना किया और 13288 रन बनाए. टेस्ट में सबसे अधिक (210) कैच पकड़ने का रिकॉर्ड भी राहुल के नाम है. किसी भी गैर विकेटकीपर द्वारा लिए गए यह सबसे अधिक कैच हैं. विदेशी पिचों पर राहुल सबसे अधिक सफल बल्लेबाज रहे हैं. 20 जून 1996 को इंग्लैंड के लॉर्ड्स में टेस्ट डेब्यू करने वाले राहुल ने 95 रन बनाए थे. आधुनिक क्रिकेट में राहुल इकलौते ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने लगातार चार टेस्ट में चार शतक लगाए. उन्होंने 115,148 और 201 रनों की पारी में इंग्लैंड दौरे पर लगाए. इसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में राहुल ने शतक लगाया.
तकनीक की कायल है पूरी दुनिया
राहुल की रक्षात्मक तकनीक के कारण उन्हें ब्रांडेड टेस्ट क्रिकेटर कहा गया. हालांकि, वह वनडे के भी शानदार बल्लेबाज थे. 1999 के वर्ल्ड कप में उन्होंने सबसे ज्यादा 461 रन बनाए. वर्ल्ड कप मैचों में वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज रहे. उनका औसत 61.42 का था, जो सिर्फ विवियन रिचर्ड्स (63.31) से पीछे था. जब टीम इंडिया किसी विकेटकीपर को खिलाना अफोर्ड नहीं कर पा रही थी तो द्रविड़ ने यह भूमिका बखूबी निभाई. वह श्रेष्ठ विकेटकीपर साबित हुए. विकेट कीपर के रूप में द्रविड़ ने 73 एक दिवसीय मैचों में 2300 रन बनाए, जो धोनी के बाद सबसे ज्यादा हैं.
टेस्ट के बाद वनडे में भी ढाल लिया खुद को
द्रविड़ के ऊपर टेस्ट प्लेयर का तमगा लग चुका था लेकिन उन्होंने एक दिवसीय में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया. वह वनडे क्रिकेट में नवें नंबर पर सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बने. वह तीसरे ऐसे भारतीय बल्लेबाज बने, जिन्होंने वनडे में दस हजार से अधिक रन (10889) रन बनाए. नवंबर 2003 में द्रविड़ ने न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में 22 गेंदों पर 50 रन बनाए. यह उस समय अजित अगरकर के बाद दूसरा सबसे तेज अर्धशतक था.