नई दिल्ली: मौजूदा वक्त की पाकिस्तान क्रिकेट टीम 90 के दशक जितनी मजबूत नहीं है, लेकिन इसके बारे में ये कहा जाता है कि ये टीम किसी को भी हरा सकती है और किसी से भी हार सकती है. ऐसा ही कुछ हुआ था साल 2017 में जब आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान को टूर्नामेंट का सबसे कमजोर दल समझा जा रहा था. इस टीम की कमान सरफराज अहमद (Sarfaraz Ahmed) के हाथों में थी, लेकिन उनके लड़ाके ने वो कर दिखाया था जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. सरफराज ने अपने मुल्क को पहली बार आईसीसी चैंपियन ट्रॉफी दिलाई थी.



COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरफराज को कप्तानी का तजुर्बा पहले से ही था. साल 2006 की आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप में न सिर्फ उन्होंने पाकिस्तान टीम की कप्तानी की बल्कि इस टूर्नामेंट का चैंपियन भी बनाया. इस प्रदर्शन का फायदा सरफराज को बखूबी मिला और उन्हें पाकिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में विकेटकीपर कामरान अकमल का बैक-अप प्लेयर बनाया गया. साल 2008 के एशिया कप में उन्हें अकमल की जगह बतौर विकेटकीपर-बल्लेबाज चुना गया. सरफराज ने कई मौकों पर अपनी टीम के लिए अहम योगदान दिया है.



सरफराज अहमद के बारे में बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि उनका रिश्ता भारत से भी है. सरफराज अहमद के दादा हाजी वकील अहमद 1952-53 में भारत छोड़कर पाकिस्तान के कराची शहर में जाकर बस गए थे, वो मूल रूप से यूपी के फतेहपुर जिले के निवासी थे, उनके दादा आजाद भारत में ग्राम पंचायत का चुनाव भी जीते थे. सरफराज  का ननिहाल भी भारत में हैं, उनके मामा महबूब हसन यूपी के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा इलाके में रहते हैं. सरफराज कई बार अपने ननिहाल आ चुके हैं. मामा हसन और भांजे सरफराज के बीच काफी गहरा लगाव है.