नई दिल्ली : आज भले वनडे क्रिकेट और टी20 क्रिकेट के कारण दुनिया में कई तूफानी बल्लेबाजों का जलवा है. लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब टेस्ट क्रिकेट का बोलबाला था, और वनडे क्रिकेट में तूफानी बल्लेबाजी करने वाले बल्लेबाजी गिनती के थे. इन्हीं बल्लेबाजों में एक नाम था, कृष्णामचारी श्रीकांत का. टीम इंडिया को इन्होंने सबसे पहले इस बात का अहसास दिलाया था कि पहले 15 ओवर में वनडे में कैसे बल्लेबाजी की जाती है. जिन्हें 1996 का वर्ल्डकप याद है, वह मानते हैं कि वनडे क्रिकेट में पहले 15 ओवर में धुंआधार बल्लेबाजी का श्रेय सनत जयसूर्या और कालूवितरणा को जाता है.


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क्रिकेट के जानकार ऐसा नहीं मानते. उनकी नजर इस परिपाटी की सही शुरुआत श्रीकांत ने ही वनडे क्रिकेट में की थी. इसीलिए क्रिकेट में उस समय श्रीकांत सबसे ज्यादा भीड़ बटोरने वाले क्रिकेटर थे. लोग स्टेडियम में सिर्फ उनकी तूफानी बल्लेबाजी ही देखने आते थे. इसीलिए मुश्ताक अली जैसे खिलाड़ी भी ये बात मानने में गुरेज नहीं करते थे कि श्रीकांत दुनिया के किसी भी खतरनाक पेस अटैक को ध्वस्त करने की क्षमता रखते थे. हालांकि कई बार वह बड़ी ही साधारण बॉल पर भी आउट हो जाते थे.


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21 दिसंबर 1959 को चेन्नई (तब मद्रास) में जन्मे श्रीकांत ने अपना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट डेब्यु 21 की उम्र में ही किया. टेस्ट मैच में भले श्रीकांत ज्यादा कामयाब नहीं हुए हों, लेकिन वनडे क्रिकेट में वह टीम इंडिया की ओर से सरताज ही बने रहे. लंबे समय तक वनडे में टीम इंडिया के सबसे बेस्ट खिलाड़ी बने रहे. टेस्ट क्रिकेट में श्रीकांत ने 43 मैचों में 2062 रन बनाए. 146 वनडे मैचों में श्रीकांत ने 4091 रन बनाए. इसमें 4 शतक और 27 अर्धशतक शामिल हैं.


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1983 में टीम इंडिया जब विश्व विजेता बनी, उसके फाइनल में सबसे ज्यादा रन श्रीकांत ने ही बनाए थे. 1989 में उनकी कप्तानी में टीम इंडिया पाकिस्तान के दौरे पर गई. इस सीरीज में ही सचिन तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत की. सीरीज के सभी मैच ड्रॉ रहे, लेकिन श्रीकांत बल्लेबाजी में फ्लॉप रहे. इसके बाद ही उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया. 2008 में वह इंडिया के सिलेक्शन पैनल के चेयरमैन बने.