सेंचुरियन : भारत ने दक्षिण अफ्रीका को सेंचुरियन में वनडे सीरीज के दूसरे वनडे में भी हरा कर शानदार जीत दर्ज की. फाफ जु प्लेसिस और एबी डिविलियर्स के बिना खेलने उतरी दक्षिण अफ्रीकी टीम में अनुभव की कमी साफ दिखाई दी. पहले दस ओवर तक केवल एक विकेट खोने के बाद 14वें ओवर में चार विकेट खोने वाली दक्षिण अफ्रीकी टीम  केवल 33 ओवर के भीतर ही 118 रन पर सिमट गई. भारत की ओर से युजवेंद्र चहल ने बतौर स्पिनर पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पांच विकेट लेने का रिकॉर्ड अपने नाम किया जबकि कुलदीप यादव ने तीन विकेट लिए. इसके बाद 119 रनों के लक्ष्य को पाने भारत को कोई दिक्कत नहीं आई.


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हालांकि टीम इंडिया ने चौथे ओवर में ही रोहित शर्मा का विकेट गंवा दिया लेकिन इसके बाद विराट कोहली और शिखर धवन को लक्ष्य हासिल करने में कोई परेशानी नहीं हुई. भारत की इस धमाकेदार जीत के ये खास पांच कारण रहे. 


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पहला सबसे बड़ा कारण भारतीय स्पिनर्स का शानदार प्रदर्शन रहा. भारत के कप्तान विराट कोहली ने इस मैच में दो परंपरागत स्पिनर्स के साथ उतरने का साहसिक निर्णय लिया था क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में इस सीरीज से पहले पिछले 26 सालों में कभी भी कोई टीम दो स्पिनर्स के साथ नहीं खेली थी. हालांकि सेंचुरीयन पिच के बारे में कहा जा रहा था कि यहां स्पिनर्स को मदद मिलेगी, लेकिन किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि भारत के यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव कमाल की गेंदबाजी करके दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजी की कमर तोड़कर रख देंगे. चहल ने 8.2 ओवर में एक मेडिन ओवर के साथ 22 रन देकर पांच विकेट लेकर पहली बार दक्षिण अफ्रीका में किसी स्पिनर के द्वारा पांच विकेट लेने का कारनामा कर दिखाया. वहीं कुलदीप यादव ने भी केवल छह ओवर में 20 रन देकर 3 खास विकेट चटका कर अपनी खास भूमिका निभाई.


भारत की जीत का दूसरा सबसे बड़ा कारण रहा भारतीय तेज गेंदबाजों की शानदार गेंदबाजी. भारत के तेज गेंदबाजों भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह ने दक्षिण अफ्रीकी सलामी बल्लेबाजों हाशिम आमला और क्विंटन डिकॉक को पहले दस ओवर में सहजता से बल्लेबाजी करने नहीं दिया जिसकी वजह से दसवें ओवर में ही रन गति बढ़ाने के लिए जब हाशिम आमला ने हाथ खोलने की कोशिश की तो भुवनेश्वर की गेंद पर वे अपनी विकेट गंवा बैठे. यही हाल क्विंटन डि कॉक का बी हुए जब वे 13वें ओवर में ही खुल कर खेलने के चक्कर में ही चहल की ही गेंद पर हार्दिक पांड्या को कैच दे बैठे.


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जीत का एक बड़ा कारण दक्षिण अफ्रीका की कमजोर बल्लेबाजी भी रहा. क्योंकि कोई भी बल्लेबाज टिक कर खेलने के इरादे से खेलता नहीं दिखा. टीम की ओर से सबसे ज्यादा रन डेपी डुमिनी और खोया जोंडो ने 25-25 रन बनाए.सलामी बल्लेबाज हाशिम आमला ने 23 रन और क्विंटन डिकॉक ने 20 रन बनाए. इसके अलावा केवल क्रिस मॉरिस ने 14 रन बनाए. अफ्रीकी पारी में टिक कर खेलने का जज्बा नदारद दिखाई दिया. इसी की वजह से वे भारत को केवल मामूली लक्ष्य ही दे सके.

भारत की जीत की चौथा एक कारण यह भी रहा कि भारतीय बल्लेबाजों ने बिना किसी दबाव के रन बनाने का सिलसिला जारी रखा. शुरुआत में ही दोनों सलामी बल्लेबाजों ने अपने ही अंदाज में रन बनाने शुरू किए और चौथे ओवर में ही रोहित शर्मा का विकेट गिरने के बावजूद दबाव बनने नहीं दिया. और खुल कर खेलते रहे. शिखर धवन और कप्तान विराट कोहली ने 19वें ओवर तक ही भारत का स्कोर 117 रन पर पहुंचा दिया.


भारत की जीत का एक बड़ा कारण दक्षिण अफ्रीकी टीम में अनुभव का अभाव रहा जिसकी वजह से टीम की तरफ से औसत किस्म की गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण नजर आया. 117 भले ही छोटा ही लक्ष्य हो लेकिन दक्षिण अफ्रीकी टीम अपने जिस जुझारूपन के लिए जानी जाती है वो दिखाई नहीं दिया. कुछ कैच भी छोड़े गए. गेंदबाजी में भी भारतीय बल्लेबाजों को वो दक्षिण अफ्रीकी आक्रमण ही नहीं दिखा जो टेस्ट टीम में था. टीम में अनुभवी खिलाड़ियों का अभाव साफ दिखाई दिया और कप्तान मार्करम की अनुभवहीनता का असर भी.
दक्षिण अफ्रीका को अब आगे अपनी रणनीति के बारे में नए सिरे से सोचना होगा.