गौतम गंभीर को कहा पाखंडी... `दिल्ली गैंग` ने बोल दिया हमला, सोशल मीडिया पर छिड़ा `महासंग्राम`
Gautam Gambhir vs Manoj Tiwari: गौतम गंभीर पर लगे हार के जख्म अब हरे होते नजर आ रहे हैं. मनोज तिवारी ने हेड कोच पर संगीन आरोप लगाते हुए उन्हें `पाखंडी` बता दिया. जिसके बाद सोशल मीडिया पर `महायुद्ध` छिड़ा नजर आ रहा है. भारतीय गेंदबाज हर्षित राणा ने मनोज तिवारी को खरी-खोटी सुना दी है.
Gautam Gambhir vs Manoj Tiwari: गौतम गंभीर पर लगे हार के जख्म अब हरे होते नजर आ रहे हैं. मनोज तिवारी ने हेड कोच पर संगीन आरोप लगाते हुए उनके जख्म पर चोट दी. इतना ही नहीं, हेड कोच पर आरोप लगाते हुए उन्हें 'पाखंडी' भी बता दिया. जिसके बाद सोशल मीडिया पर 'महायुद्ध' छिड़ा नजर आ रहा है, क्योंकि गंभीर के लिए दिल्ली के दो खिलाड़ी भिड़ गए हैं. भारतीय गेंदबाज हर्षित राणा और केकेआर के बल्लेबाज नितीश राणा ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी.
क्या बोले थे मनोज तिवारी?
मनोज तिवारी ने न्यूज18 बांग्ला के साथ बातचीत में कहा, 'गौतम गंभीर पाखंडी हैं, जो वह कहते हैं वो नहीं करते कप्तान (रोहित) मुंबई से हैं और अभिषेक नायर मुंबई से हैं. रोहित को आगे कर दिया गया है. जलज सक्सेना के लिए बोलने वाला कोई नहीं है. वह अच्छा प्रदर्शन करता है, लेकिन चुप रहता है. वे (गंभीर और रोहित) एक साथ कैसे काम करेंगे? रोहित वर्ल्ड कप विनिंग कैप्टन हैं जबकि गंभीर ने बतौर कप्तान और मेंटॉर केकेआर को खिताब जिताया. गंभीर ने अकेले केकेआर को ट्रॉफी नहीं दिलाई क्योंकि हम सभी ने एक यूनिट के तौर पर प्रदर्शन किया. जैक कैलिस, सुनील नरेन और मैंने, सभी ने इसमें योगदान दिया, लेकिन इसका क्रेडिट किसने लिया? ऐसा माहौल और पीआर है जो उन्हें सारा क्रेडिट देता है.'
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भिड़ गए हर्षित राणा
हर्षित राणा ने सोशल मीडिया पर गंभीर का सपोर्ट करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, 'अपनी निजी असुरक्षा की वजह से किसी की आलोचना करना ठीक नहीं है. गौती भैया ऐसे इंसान हैं जो खुद से अधिक दूसरे प्लेयर्स के बारे में सोचते हैं. वह हमेशा खराब फॉर्म से जूझ रहे प्लेयर्स के साथ खड़े रहते हैं. उनके पास काफी अनुभव और ज्ञान है और वो गेम बदलने में माहिर हैं.'
नितीश राणा ने भी
नितीश राणा ने भी एक्स पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, 'आलोचना तर्कों के आधार पर होनी चाहिए बल्कि निजी असुरक्षा की वजह से नहीं. गौती भैया हमेशा से दूसरों के बारे में सोचते हैं. प्रदर्शन को किसी तरह के प्रचार की जरूरत नहीं होती. ट्रॉफी सबकुछ बयां करती हैं.'