Hotspot Technology India vs New Zealand: भारतीय टीम को न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. होमग्राउंड पर टीम इंडिया पहली बार 3 या उससे अधिक मैचों की सीरीज में सभी मैच हारी है. मुंबई में आखिरी मुकाबले में ऋषभ पंत का विकेट टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. उनके विकेट पर काफी विवाद भी हुआ. यहां तक कि भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने भी थर्ड अंपायर के फैसले पर सवाल उठाए. भारतीय टीम को यहां क्रिकेट की एक खास टेक्नोलॉजी की कमी खली. उसका नाम हॉटस्पॉट है.


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पंत के साथ क्या हुआ था?


मुंबई टेस्ट के तीसरे दिन भारत की दूसरी पारी में ऋषभ पंत टीम इंडिया को जीत की ओर ले जा रहे थे. अचानक एजाज पटेल की एक गेंद को पंत ने आगे बढ़कर डिफेंड किया. इसके बाद गेंद हवा में उछल गई, जिसे विकेटकीपर टॉम ब्लंडेल ने पकड़ लिया. न्यूजीलैंड ने जोरदार अपील की, लेकिन मैदानी अंपायर ने आउट नहीं दिया. इसके बाद कप्तान टॉम लैथम रिव्यू ले लिया. अल्ट्राएज ने दिखाया कि जब गेंद पंत के बल्ले के पास थी, तो एक हल्की सी आवाज आई थी. उसी समय पैड से भी बॉल टकरा रही थी. किसी को कुछ भी साफ पता नहीं चल रहा था. थर्ड अंपायर पॉल रोफेल ने ऑन-फील्ड फैसले को पलट दिया और पंत को आउट करार दिया. पंत इस फैसले से नाराज थे. भारतीय खेमा भी इससे निराश हो गया. उनके आउट होने के बाद भारत की हार तय हो गई.


हॉटस्पॉट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल


हॉटस्पॉट टेक्नोलॉजी का उपयोग क्रिकेट में गेंद के बल्ले या शरीर से टकराने की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है. यह तकनीक दो थर्मल इमेजिंग कैमरों का उपयोग करती है जो गेंदबाज के पीछे दोनों छोर पर रखे जाते हैं. ये कैमरे गेंद द्वारा बल्लेबाज के शरीर या बल्ले या पैड को छूने की स्थिति को साफ दिखाते हैं.


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हॉटस्पॉट की सटीकता


क्रिकेट में सभी तकनीकों की तरह हॉटस्पॉट भी कुछ विवादों से जुड़ा हुआ है. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने 2011 में भारत के इंग्लैंड दौरे के दौरान ट्वीट किया था, "क्या वीवीएस लक्ष्मण के बाहरी किनारे पर वैसलीन ने दिन बचा लिया?" यहां तक कि उपकरण के आविष्कारक वॉरेन ब्रेनन ने भी चिंता व्यक्त की थी कि बल्ले पर कोटिंग हॉटस्पॉट के लिए हानिकारक हो सकती है.


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हॉटस्पॉट का उपयोग क्यों नहीं किया जाता?


हॉटस्पॉट का इस्तेमाल भारत में नहीं किया जाता है. ब्रॉडकास्टिंग से जुड़े लोग और बीसीसीआई का कहना है कि हॉटस्पॉट का संचालन महंगा है. इसके अलावा यह एक 100% सटीक नहीं है. इसका उपयोग सीमित है क्योंकि स्निको मीटर किनारों को पकड़ लेता है. इस कारण दुनिया के अधिकतर ब्रॉडकास्टर इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं. स्काई स्पोर्ट्स और सुपरस्पोर्ट्स ने भी इस तकनीक का उपयोग बंद कर दिया है.