क्रिकेट के मैदान पर एक बल्लेबाज एल्युमिनियम का बल्ला लेकर उतरा और हैरानी वाली बात ये रही कि कुछ समय तक वह क्रीज पर इस बैट से बल्लेबाजी करने में भी कामयाब रहा. क्रिकेट के मैदान पर एक बार ऐसा वाकया देखने को मिला, जिसने पूरी दुनिया को हैरान करके रख दिया था. इसके बाद विरोधी टीम की शिकायत के बाद इस मैच में एक जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.


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विवाद की सबसे बड़ी वजह बना एल्युमिनियम का बल्ला


1979 में इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलिया में एशेज टेस्ट सीरीज खेल रही थी. इसी टेस्ट सीरीज के पर्थ टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर डेनिस लिली एल्युमिनियम धातु से बना बल्ला लेकर मैदान पर उतरे और उनके इस कदम ने क्रिकेट फील्ड में बवाल मचा दिया. डेनिस लिली कोई स्पेशलिस्ट बल्लेबाज नहीं थे, बल्कि अपने जमाने के एक खतरनाक तेज गेंदबाज थे, जो 9वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आते थे. मजे की बात ये रही कि किसी को इसकी भनक ही नहीं थी कि डेनिस लिली एल्युमिनियम धातु से बना बल्ला लेकर मैदान पर उतरे हैं.


इस खिलाड़ी का नाम हुआ बदनाम


जैसे ही लिली ने स्टांस लिया तभी इंग्लैंड के चतुर कप्तान माइक ब्रेयरली को लगा कि कुछ गड़बड़ है. डेनिस लिली बड़े आराम से एल्युमिनियम के उसी बल्ले से एक ओवर की सारी गेंदें खेल ले गए. एक ओवर बाद जब ब्रेयरली ने गेंद हाथ में ली तो गेंद की शक्ल बिगड़ी हुई थी. इंग्लैंड के कप्तान ने माइक ब्रेयरली गौर से लिली के बैट की ओर देखा, तो वो हैरान रह गए. बैट तो एल्युमिनियम का था. इसके बाद इंग्लैंड के कप्तान माइक ब्रेयरली तुरंत अंपायर के पास पहुंचे. इंग्लैंड के कप्तान माइक ब्रेयरली ने कहा कि एल्युमिनियम का ये बैट गेंद को खराब कर रहा है. 



बैट केवल लकड़ी का होना चाहिए


अंपायर के बहुत समझाने पर भी डेनिस लिली जिद पर अड़े थे कि वो उसी एल्युमिनियम के बैट से खेलेंगे. तब ICC की रूल बुक में कहीं नहीं लिखा था कि बैट केवल लकड़ी का होना चाहिए. इसी वजह से लिली के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती थी. अंपायर भी उन्हें नहीं कह सकता थे कि वह इस एल्युमिनियम बैट से नहीं खेल सकते हैं. अंपायरों ने हालांकि लिली को बैट बदलने को कहा, लेकिन लिली ने बैट बदलने से इंकार कर दिया.



मैच लंबे समय तक रुक गया 


इसके बाद इंग्लैंड के कप्तान माइक ब्रेयरली ने डेनिस लिली से कहा कि वह इस एल्युमिनियम के बैट से नहीं खेलें, लेकिन लिली ने किसी की बात नहीं मानी, मैदान पर काफी ड्रामा होता देख ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ग्रेग चैपल बीच-बचाव के लिए मैदान पर पहुंचे थे. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल ने इस बात को भांप लिया कि अगर ये ड्रामा ऐसे ही चलता रहा तो मैच लंबे समय तक रुक जाएगा. इसीलिए वे मैदान पर आए और लिली को लकड़ी का बैट इस्तेमाल करने के लिए कहा. इसके बाद लिली ने गुस्से में आकर एल्युमिनियम के बैट को दूर फेंक दिया (यह बैट लिली जहां खड़े थे, वहां से 40 यार्ड दूर गिरा) और इसके बाद वह मन मारकर लकड़ी के बैट से खेलने के लिए राजी हुए और तब जाकर मैच एक बार फिर से शुरू हुआ.


एल्युमिनियम बैट की खूब बिकवाली


हालांकि डेनिस लिली के इस दुर्व्यवहार के लिए उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड और अंपायरों दोनों ने डेनिस लिली को चेतावनी देकर छोड़ दिया. इस मैच के बाद उस एल्युमिनियम बैट की खूब बिकवाली हुई, जिसके लाभ का प्रतिशत मोनेगन ने लिली को भी दिया. लेकिन बैट के तेजी से बिकने का सिलसिला अगले कुछ ही महीनों तक चला, क्योंकि क्रिकेट में एक नया नियम इजाद हुआ जिसके अंतर्गत क्रिकेट में सिर्फ लकड़ी से बने बैट का इस्तेमाल किया जा सकता था. 


लिली अपने दोस्त मोनेगन की कंपनी में हिस्सेदार थे​


एल्युमिनियम का यह बैट लिली के दोस्त ग्रेम मोनेगन की कंपनी ने बनाया था. यह बैट परंपरागत क्रिकेट बैट के रिप्लेसमेंट के लिए बनाया गया था, जो स्कूलों और विकासशील देशों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था. मोनेगन ने एल्युमिनियम के इस बैट का निर्माण बेसबॉल के बैट को ध्यान में रखकर किया था, जहां लकड़ी के बैट को एल्युमिनियम से रिप्लेस किया गया था. लिली अपने दोस्त मोनेगन की कंपनी में हिस्सेदार थे, इसलिए उन्होंने एक मार्केटिंग स्टंट का पूरा करने के लिए उस बैट के साथ अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच में खेलने का निर्णय लिया.


लकड़ी के अलावा किस अन्य वस्तु से बने बैटों पर पाबंदी लगा दी गई 


जिस बैट का इस्तेमाल लिली ने 1979 के उस मैच में किया था वह आज भी उनके पास है. मैच के खत्म होने के बाद उस बैट पर दोनों टीम के खिलाड़ियों ने अपने हस्ताक्षर किए. इंग्लैंड के कप्तान माइक ब्रेयरली को जब पता चला कि इस बैट का इस्तेमाल लिली ने सेल्स स्टंट के लिए किया था तो उन्होंने बैट पर खुशी से हस्ताक्षर किए और लिखा ‘गुड लक विद द सेल्स'(बिक्री के लिए शुभकामनाएं). इस मैच के बाद क्रिकेट के नियम 6 को प्रभाव में लाया गया, जिसके अंतर्गत लकड़ी के अलावा किस अन्य वस्तु से बने बैटों पर पाबंदी लगा दी गई. इस मैच को बाद में ऑस्ट्रेलिया ने 138 रनों से जीत लिया.