बालकनी से कूदकर मरने को उतारू था टीम इंडिया का ये दिग्गज क्रिकेटर, जीत चुका है टी20 वर्ल्ड कप
Team India Cricketer: भारत का एक स्टार क्रिकेटर अपनी जिंदगी से इतना तंग आ गया था कि वह एक बार बालकनी से कूदकर मरने को उतारू हो गया था. यह स्टार क्रिकेटर भारत की 2007 टी20 वर्ल्ड कप जीत का हिस्सा भी रह चुका है.
Team India Cricketer: भारत का एक स्टार क्रिकेटर अपनी जिंदगी से इतना तंग आ गया था कि वह एक बार बालकनी से कूदकर मरने को उतारू हो गया था. यह स्टार क्रिकेटर भारत की 2007 टी20 वर्ल्ड कप जीत का हिस्सा भी रह चुका है. भारत की 2007 टी20 वर्ल्ड कप विजेता टीम के अहम सदस्य रहे रॉबिन उथप्पा अपने करियर में दो साल तक डिप्रेशन में रहे. इस दौरान वह आत्महत्या के ख्यालों से जूझते रहे. रॉबिन उथप्पा एक बार अपने घर की बालकनी से कूदकर जान देना चाहते थे.
मरने को उतारू था टीम इंडिया का ये दिग्गज क्रिकेटर
रॉबिन उथप्पा ने आत्महत्या का पूरा प्लान भी बना लिया था. आखिरकार क्रिकेट ही एकमात्र वजह थी, जिसने उन्हें ‘बालकनी से कूदने’ से रोका. रॉबिन उथप्पा भारत के लिए 46 वनडे और 13 टी20 इंटरनेशनल मैच खेल चुके हैं. भारत के पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा को इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज ग्राहम थोर्प की असामयिक मृत्यु ने डिप्रेशन से अपनी संघर्ष की कहानी को साझा करने के लिए मजबूर किया. थोर्प ने इस महीने की शुरुआत में आत्महत्या कर ली थी.
बालकनी से कूदकर देना चाहता था जान
रॉबिन उथप्पा ने अपने यूट्यूब चैनल पर साल 2009 और 2011 के बीच अपने जीवन के सबसे संघर्षपूर्ण दिनों को याद किया जब वह आत्महत्या के बारे में सोच रहे थे. रॉबिन उथप्पा ने कहा, ‘मुझे याद है 2009 से 2011 के बीच यह लगातार हो रहा था और मुझे रोज इसका सामना करना पड़ता था. मैं उस समय क्रिकेट के बारे में सोच भी नहीं रहा था. मैं सोचता था कि इस दिन कैसे रहूंगा और अगला दिन कैसा होगा, मेरे जीवन में क्या हो रहा है और मैं किस दिशा में आगे जा रहा हूं. क्रिकेट ने इन बातों को मेरे जेहन से निकाला. मैच से इतर दिनों या ऑफ सीजन में बड़ी दिक्कत होती थी. मैं उन दिनों में इधर-उधर बैठकर यही सोचता रहता था कि मैं दौड़कर जाऊं और बालकनी से कूद जाऊं. लेकिन किसी चीज ने मुझे रोके रखा.’
डायरी लिखना शुरू किया
रॉबिन उथप्पा ने कहा कि इस समय उन्होंने डायरी लिखना शुरू किया. उन्होंने कहा, ‘मैंने एक इंसान के तौर पर खुद को समझने की प्रक्रिया शुरू की. इसके बाद बाहरी मदद ली, ताकि अपने जीवन में बदलाव ला सकूं.’ इसके बाद वह दौर था जब ऑस्ट्रेलिया में भारत-ए की कप्तानी के बावजूद वह भारतीय टीम में नहीं चुने गए. रॉबिन उथप्पा ने कहा ,‘पता नहीं क्यों... मैं कितनी भी मेहनत कर रहा था, लेकिन रन नहीं बन रहे थे. मैं यह मानने को तैयार नहीं था कि मेरे साथ कोई समस्या है. हम कई बार स्वीकार नहीं करना चाहते कि कोई मानसिक परेशानी है.’
मानसिक परेशानी हुई थी हावी
इसके बाद 2014-15 रणजी सत्र में उथप्पा ने सर्वाधिक रन बनाए. उन्होंने अभी क्रिकेट को अलविदा नहीं कहा है, लेकिन उनका कहना है कि अपने जीवन के बुरे दौर का जिस तरह उन्होंने सामना किया, उन्हें कोई खेद नहीं है. उन्होंने कहा ,‘मुझे अपने नकारात्मक अनुभवों का कोई मलाल नहीं है क्योंकि इससे मुझे सकारात्मकता महसूस करने में मदद मिली. नकारात्मक चीजों का सामना करके ही आप सकारात्मकता में खुश हो सकते हैं.’ ग्राहम थोर्प के अलावा, भारत के पूर्व तेज गेंदबाज डेविड जॉनसन की इस साल की शुरुआत में अपने अपार्टमेंट की चौथी मंजिल से कूदने के बाद मौत हो गई थी.