Sachin Tendulkar: बल्लेबाजी के बादशाह सचिन तेंदुलकर के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने 100 शतकों में सबसे 'मुश्किल' शतक 12 साल पहले शेर-ए बांग्ला स्टेडियम में लगाया गया वह सैकड़ा था जिसके साथ उन्होंने महाशतक पूरा करके क्रिकेट इतिहास में नया अध्याय लिखा था. तेंदुलकर को इस शतक के लिए पूरे एक साल चार दिन तक इंतजार करना पड़ा था. अपने करियर में किसी भी शतक के लिए उन्हें इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ा था.


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सचिन ने अंगारों पर चलकर बनाया ये महारिकॉर्ड


इससे पहले एक बार वह 315 दिन तक शतक नहीं लगा पाए थे, लेकिन 99वें से 100वें शतक तक पहुंचने का इंतजार क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बन गया था और इसलिए इस स्टार क्रिकेटर ने इसे अपने सभी शतकों में मुश्किल शतक करार दिया था. एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ 16 मार्च 2012 को ढाका में तेंदुलकर के बल्ले से वह पारी निकल गई जिसकी धमक पूरी दुनिया में सुनाई दी थी. तेंदुलकर ने 114 रन बनाए थे जिससे इस बल्लेबाज के साथ क्रिकेट प्रेमियों ने भी राहत की सांस ली थी.


99 से 100 शतक का मुश्किल सफर


तेंदुलकर ने यह शतक जड़ने के बाद कहा था, 'यह मेरे सभी शतकों में से सबसे मुश्किल शतक था, क्योंकि मैं कहीं भी जाता लोग इसी की चर्चा करते. कोई भी मेरे 99 शतकों के बारे में बात नहीं करता.' असल में तेंदुलकर ने अपना 99वां शतक 12 मार्च 2011 को वर्ल्ड कप के दौरान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगाया था. इसके बाद कम से कम छह अवसर ऐसे आए जबकि वह शतक के करीब पहुंचे, लेकिन इंतजार खत्म नहीं कर पाए थे. इनमें से दो बार तो वह 'नर्वस नाइंटीज' के शिकार बने थे.


महाशतक जड़ने के कई मौके हाथ से निकले 


वर्ल्ड कप 2011 में ही पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में सेमीफाइनल में तेंदुलकर ने क्रिकेट प्रेमियों की धड़कनें बढ़ा दी थी, लेकिन जब वह 85 रन पर खेल रहे थे तब सईद अजमल की गेंद पर शाहिद आफरीदी ने उनका कैच लपक लिया था. तेंदुलकर पूरी तरह फिट होने के कारण वेस्टइंडीज दौरे पर नहीं जा पाए थे लेकिन इंग्लैंड दौरे पर उनके पास शतक जड़ने का बेहतरीन मौका था. उस सीरीज में राहुल द्रविड़ को छोड़कर कोई भी भारतीय बल्लेबाज नहीं चल पाया था.


टिम ब्रेसनन ने तोड़ा दिल 


तेंदुलकर केवल ओवल में खेले गए चौथे टेस्ट में लय में दिखाई दिए. मैच के चौथे दिन तेंदुलकर 35 रन पर खेल रहे थे और अगले दिन जब वह केविन पीटरसन की गेंद पर चौका जड़कर 90 रन के पार पहुंचे तो सभी की जुबान पर महाशतक था, लेकिन तभी टिम ब्रेसनन की अंदर आती गेंद पर वह LBW आउट हो गए.


अंधविश्वास में अपना हेयर स्टाइल बदल लिया


वेस्टइंडीज के खिलाफ तेंदुलकर दिल्ली में 76 और अपने घरेलू मैदान मुंबई में 94 रन बनाकर आउट हुए थे. इसके बाद जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई तो क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने 100वें शतक के सम्मान के लिए विशेष ट्रॉफी तैयार की थी. तेंदुलकर जहां जाते वहां ट्रॉफी जाती, लेकिन यह बल्लेबाजी का बादशाह केवल मेलबर्न (73) और सिडनी (80) में ही उम्मीद जगा पाया था. एशिया कप के लिए जब तेंदुलकर बांग्लादेश गए तो उन्होंने अपना हेयर स्टाइल बदल दिया था जिसे उनके शतक और अंधविश्वास से जोड़ा गया था.


फैंस को दिया बेहद खास तोहफा 


श्रीलंका के खिलाफ पहले मैच में तेंदुलकर छह रन ही बना पाये थे लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ वह क्रीज पर टिके रहे और शतक पूरा करने में सफल रहे थे जो क्रिकेट इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण शतकों में शामिल हो गया था. तेंदुलकर ने तब युवाओं को विशेष संदेश दिया था. उन्होंने कहा था, 'हमेशा खेल का आनंद लो, सपनो का पीछा करो, सपने पूरे होते हैं.'