नई दिल्ली: क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की राज्यसभा में कम अटेंडेंस पर भले ही सवाल उठते रहे हों, लेकिन इस बार उन्होंने बतौर सांसद ऐसा काम किया है जो काबिले तारीफ है. सचिन ने राज्यसभा सांसद के रूप में अपना पूरा वेतन और भत्ते प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिये. उनका कार्यकाल हाल में समाप्त हुआ था. पिछले छह वर्षों में तेंदुलकर को वेतन के रूप में लगभग 90 लाख रूपये और अन्य मासिक भत्ते मिले थे. प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी आभार पत्र जारी किया है जिसमें लिखा गया है, ‘प्रधानमंत्री ने इस सहृदयता के लिये आभार व्यक्त किया है. यह योगदान संकटग्रस्त लोगों को सहायता पहुंचाने में बहुत मददगार होगा.'


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तेंदुलकर और मशहूर अभिनेत्री रेखा की इन वर्षों में संसद में कम उपस्थिति के लिये कई बार आलोचना झेलनी पड़ी थी. टीम इंडिया के पूर्व कप्तान ने हालांकि सांसद निधि का अच्छा उपयोग किया था. उनके कार्यालय से जारी आंकड़ों में उन्होंने देश भर में 185 परियोजनाओं को मंजूरी देने तथा उन्हें आवंटित 30 करोड़ रुपए में से 7.4 करोड़ रुपये शिक्षा और ढांचागत विकास में खर्च करने का दावा किया है.


सांसद आदर्श ग्राम योजना कार्यक्रम के तहत तेंदुलकर ने दो गांवों को भी गोद लिया जिनमें आंध्र प्रदेश का पुत्तम राजू केंद्रिगा और महाराष्ट्र का दोंजा गांव शामिल हैं.


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सचिन तेंदुलकर ने कश्मीर में स्कूल की मदद के लिए 40 लाख रुपए दिए
इससे पहले सचिन तेंदुलकर ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीलैड) कोष से जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा जिले के स्कूल की इमारत निर्माण के लिए 40 लाख रुपए दिए हैं. इस क्षेत्र के इकलौते स्कूल इंपीरियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट दुर्गमुल्ला का निर्माण 2007 में हुआ था. इसमें कक्षा एक से 10 तक लगभग 1000 छात्र पढ़ते हैं. राज्य सभा सदस्य तेंदुलकर के कोष से यहां 10 कक्षाओं, चार प्रयोगशाला, प्रशासनिक ब्लॉक, छह प्रसाधन और एक प्रार्थना हाल का निर्माण किया जाएगा. सचिन के इस कदम की जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर तारीफ की थीं.


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इससे पहले तेंदुलकर ने दक्षिण मुंबई के एक स्कूल के उन्नयन और कक्षाओं के निर्माण के लिए कोष दिया था. एमपीलैड कोष से तेंदुलकर देश के विभिन्न हिस्सों में स्कूल और शैक्षिक संस्थानों से जुड़ी 20 परियोजनाओं में 7.4 करोड़ रुपये की राशि दे चुके हैं. 


इसके अलावा सचिन तेंदुलकर निजी तौर पर भी कई एनजीओ की लगातार मदद करते हैं. बस अंतर इतना है कि उनके निजी योगदान या मदद से जुड़ी खबरें मीडिया की सुर्खियों का हिस्सा नहीं बन पातीं क्योंकि सचिन समाज कल्याण से जुड़े कार्यों के लिए प्रचार-प्रसार नहीं चाहते.