World Cup 2023: भारतीय टीम को आईसीसी वर्ल्ड कप फाइनल में रविवार को ऑस्ट्रेलिया से 6 विकेट की हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद कुछ फैंस टीम को ‘चोकर्स’ (अहम मैचों में हारने वाली टीम) का तमगा देने लगे, लेकिन मनोवैज्ञानिकों ने इसे खेल के मैदान में महज एक खराब दिन करार दिया. वनडे वर्ल्ड कप में शुरुआती 10 मैचों में दमदार जीत दर्ज करने के बाद करोड़ों फैंस वर्ल्ड कप में भारतीय जीत की आस लगाए बैठे थे, लेकिन टीम को एक बार फिर फाइनल में निराशा हाथ लगी.


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‘चोकर्स’ नहीं है टीम इंडिया


भारत ने अपना पिछला आईसीसी खिताब साल 2013 में महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में चैम्पियंस ट्रॉफी में जीता था. टीम को इसके बाद आईसीसी के पांच फाइनल और चार सेमीफाइनल मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा. आईसीसी के खिताबी और नॉकआउट मैचों में लगातार लचर प्रदर्शन के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह भारतीय टीम के लिए एक खराब दिन था या खिलाड़ी वाकई में ऐसे मुकाबलों में ‘चोक’ कर रहे हैं.


इस वजह से टूटा 12 साल बाद वर्ल्ड कप जीतने का सपना


खेल मनोवैज्ञानिक गायत्री वर्तक ने कहा कि यह दबाव में बिखरने वाला मसला नहीं है. ऑस्ट्रेलिया उस दिन बेहतर रणनीति के साथ मैदान पर उतरा था. गायत्री वर्तक ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि टीम कहीं से भी मानसिक रूप से बिखरी हुई दिखी. मुझे नहीं लगता कि वे दबाव में प्रदर्शन नहीं कर सके. वे सभी टूर्नामेंट में सकारात्मक रूप से आए और फाइनल तक शानदार प्रदर्शन किया. एक खिलाड़ी के रूप में आपके जेहन में पिछले मैच की यादें रहती है, ना कि तीन साल पहले खेला गया मैच. यहां पिछला मैच सेमीफाइनल था, जिसमें टीम ने जीत दर्ज की थी.’


टीम का दिन खराब


फोर्टिस अस्पताल की खेल मनोवैज्ञानिक दीया जैन ने कहा कि बड़े मैच का दबाव टॉप खिलाड़ियों पर भारी पड़ सकता है, लेकिन भारत के प्रदर्शन का जश्न मनाया जाना चाहिए. दीया जैन ने कहा, ‘किसी भी टीम का दिन खराब हो सकता है, इसे स्वीकार करना और इससे सीखना महत्वपूर्ण है. ऑस्ट्रेलिया के पास एक योजना थी और वे उस पर कायम रहे, खुद पर विश्वास किया और उन्होंने चीजों को नियंत्रण में रखा. बड़े मैचों का दबाव एक नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, और मानसिक तैयारी महत्वपूर्ण है.’


10 मैच जीतना एक बड़ी कामयाबी


जैन ने कहा, ‘यह विश्लेषण का समय नहीं है, बल्कि जश्न मनाने का समय है. वर्ल्ड कप फाइनलिस्ट बनना और लगातार 10 मैच जीतना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है.’ भारत में क्रिकेट खिलाड़ियों का रुतबा किसी बड़े नायक की तरह है. कई फैंस इन खिलाड़ियों की पूजा भी करते हैं और उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं. वर्तक ने कहा, ‘खिलाड़ियों के लिए भारतीय प्रशंसक किसी ईंधन के रूप में कार्य करते हैं. उनका जुड़ाव बहुत भावनात्मक होता है. वे आलोचनात्मक हो सकते हैं लेकिन वे बहुत सहायक भी होते हैं. प्रशंसकों का व्यवहार हमें बताता है कि आम तौर पर वे अपने खिलाड़ियों की पूजा करते हैं.’