नई दिल्ली : श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टेस्ट और 3 वनडे के लिए टीम इंडिया का ऐलान कर दिया गया है. सबसे बड़े फेरबदल के नाम पर विराट कोहली को वनडे सीरीज से आराम दिया गया है. उनकी जगह कप्तानी रोहित शर्मा करेंगे, जो इस समय वनडे टीम की उपकप्तानी करते हैं. टेस्ट सीरीज की बात करें तो कोलकाता में हुआ पहला टेस्ट बिना नतीजे के खत्म हुआ. लेकिन नागपुर में हुए दूसरे टेस्ट में टीम इंडिया ने श्रीलंका को उसी अंदाज में रौंद दिया, जैसी उम्मीद इस सीरीज के शुरू होने से पहले की गई थी. अब सीरीज में टीम इंडिया 1-0 से आगे है.


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आखिरी टेस्ट 2 दिसंबर से दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में खेला जाएगा. अब नजर डालते हैं तीसरे टेस्ट के लिए घोषित की गई टीम पर. तीसरे टेस्ट के लिए विराट को ही कप्तान रखा गया है. पूरी टीम वही है. सामने श्रीलंका जैसी कमजोर टीम है. ऐसे में अच्छा होता कि ऐसी टीम के सामने टीम मैनेजमेंट कुछ प्रयोग करता और कुछ नए चेहरों को इंटरनेशनल मैचों का अनुभव देता. लेकिन उसने ऐसा किया कुछ  नहीं. टीम इंडिया को अब अपने सबसे मुश्किल दौरे पर रवाना होना है. ऐसे में चयन समिति के ये कदम कैसे साबित होंगे, ये तो वक्त बताएगा.


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1. कमजोर टीम के सामने प्रयोग से क्यों डरे : वर्ल्ड क्रिकेट में इस समय श्रीलंकाई टीम की गत सबसे बुरी है. पिछले दिनों उसे पाकिस्तान ने यूएई में बुरी तरह परास्त किया था. उससे पहले टीम इंडिया ने श्रीलंका में ही जाकर मेजबान टीम को तीनों फॉर्मेट को मिलाकर 9-0 से हरा दिया था. इस समय चयन समिति के पास ये मौका था कि वह श्रीलंका जैसी कमजोर टीमों के खिलाफ नए चेहरों को मौका देता. इससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय मैचों का अनुभव होता. लेकिन टीम मैनेजमेंट ने वही पुरानी टीम मैदान में उतार दी, पिछले लंबे समय से खेलती आ रही है. जबकि खुद कप्तान कोहली लंबे और व्यस्त कार्यक्रम को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.



2. नए खिलाड़ियों को पर्याप्त मौके क्यों नहीं : टीम इंडिया इस समय अपने सबसे अच्छे समय में है. लेकिन फिर भी प्रयोग के नाम पर टीम के साथ कुछ भी नहीं किया जा रहा है. यहां तक कि करीब करीब हर सीरीज में एक नए चेहरे को टीम में शामिल किया जाता है, लेकिन उन्हें ढंग से मौके भी नहीं मिलते और उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाता है. शार्दुल ठाकुर, रिषभ पंत, मोहम्मद सिराज और श्रेयस अय्यर ऐसे ही चेहरे हैं जो अब तक इसी इंतजार में हैं कि उन्हें कब पर्याप्त मौका मिले और वह अपनी प्रतिभा दिखाएं.


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3. तेज उछाल वाली पिच : तेज उछाल लिए हुए पिचों पर टीम इंडिया के धुरंधर कितने कारगर हैं, इसकी कलई  कोलकाता में श्रीलंका के खिलाफ पहले ही टेस्ट की पहली पारी में खुल गई. जब श्रीलंकाई गेंदबाजों ने टीम इंडिया को मात्र 172 रनों पर ढेर कर दिया. हालांकि दूसरी पारी में जब पिच का मिजाज थोड़ा नरम हुआ तब कहीं जाकर टीम इंडिया अपने रंग में लौटी. विराट की टीम को अगले महीने दक्षिण अफ्रीका का दौरा करना है. विराट कह चुके हैं, कि उन्हें तैयारी का कम समय मिला. ऐसे में अच्छा ये होता कि श्रीलंका जैसी कमजोर टीम के सामने हमारी टीम तेज उछाल वाली पिच पर खेलती. इससे उसे दक्षिण अफ्रीका में आसानी होती. अगर दक्षिण अफ्रीका में वहां के पिच क्यूरेटर ने वही पुरानी पिच तैयार कीं तो पाटा पिचों पर खेलकर जाने वाली टीम इंडिया का क्या हाल होगा आप आसानी से समझ सकते हैं.


4. हर बार नया चेहरा, 1-2 मैच खिलाए बाहर का रास्ता : पिछले काफी दिनों से ये चलन बढ़ता जा रहा है कि हर सीरीज से पहले जब टीम इंडिया का चुनाव होता है तो उसमें एक नया चेहरा शामिल किया जाता है. पहले शार्दुल ठाकुर, रिषभ पंत इस लिस्ट में शामिल थे. फिर मोहम्मद सिराज, विनय शंकर और अब सिद्धार्थ कौल. जब पहले से ही टीम के पास कई युवा खिलाड़ी बैठे हैं तो फिर हर सीरीज में एक नया चेहरा उतारने की क्या तुक है. क्या टीम ने अब तक रिषभ पंत को पर्याप्त मौके दिए हैं. या मोहम्मद सिराज, विनय शंकर को कितनी बार आजमाया गया है. ऐसे में हर बार नया चेहरा लाकर पहले से ही टीम में जगह की उम्मीद पाले बैठे खिलाड़ियों पर दबाव क्यों बनाया जा रहा है.



5. बार बार अश्विन-जडेजा को आराम क्यों : बार बार आराम के नाम पर रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा को वनडे टीम से क्यों बाहर किया जाता है. अश्विन के मामले में अगर हम ये मान भी लें कि वह ज्यादा उम्र के हैं, लेकिन रविंद्र जडेजा तो कोहली के हम उम्र हैं. ये दोनों ही खिलाड़ी अपने बल्ले से कमाल दिखा सकते हैं. ऐसे में इनकी अनदेखी क्यों हो रही है. खासकर जब टीम को दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर जाना है तो अश्विन और जडेजा जैसे खिलाड़ियों को इतने कम मैच क्यों खेलने को मिल रहे हैं.