नई दिल्ली: क्रिकेट में भगवान का दर्जा रखने वाले महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की यूं तो हर पारी यादगार रही हैं, लेकिन 1998 में कोको कोला कप के दौरान खेली गई उनकी पारियां 20 साल बाद भी कोई नहीं भुला पाया है. आज भी सचिन तेंदुलकर की वह पारियां उनके फैन्स के जेहन में ताजा है. फैन्स के साथ-साथ एक ऐसा गेंदबाज भी है, जिसके लिए सचिन तेंदुलकर की ये पारियां किसी बुरे सपने से कम नहीं थीं. ऑस्ट्रेलिया के 'स्पिन किंग' शेन वॉर्न के तो सपनों में भी सचिन तेंदुलकर आने लगे थे. 


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ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज ऑफ स्पिनर शेन वॉर्न ने 1998 में कहा था कि सचिन से उन्हें सपने में भी डर लगता है. ऐसा लगता है कि वो उनके सपने में भी छक्के लगा रहे हैं. वॉर्न ने एक इंटरव्यू में ये खुलासा किया था सचिन उनके सपने में आते हैं और उनके सिर के ऊपर से साइट स्क्रीन पर छक्का जड़ते हैं. हालांकि, वॉर्न ने बाद में ये कहा था कि ये बात उन्होंने मजाक में की थी. लेकिन सच यही है कि जिस तरह सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ताबड़तोड़ रन बनाए हैं, वे ना सिर्फ शेन वॉर्न बल्कि पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं हैं. 


1998 में खेला गया कोका कोला कप एक ट्राई सीरीज थी, जो शारजाह में खेली गई थी. यह टूर्नामेंट में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया था. सबसे मजेदार बात यह थी कि शारजाह में आयोजित यह टूर्नामेंट 10 साल में ऐसा पहला टूर्नामेंट था, जिसमें पाकिस्तान टीम हिस्सा नहीं ले रही थी. इस सीरीज में सचिन तेंदुलकर की दो पारियां सबसे यादगार थी. 


सचिन तेंदुलकर भी अपने इंटरव्यूज में शारजाह के शतक को ही अपने करियर की सबसे बेहतरीन पारी मानते हैं. 


सचिन तेंदुलकर, (134) शारजाह, 1998
कोको कोला कप के इस मैच से पहले सचिन तेंदुलकर ऑस्ट्रेलिया को अकेले अपने दम पर ध्वस्त कर चुके थे, लेकिन इस मैच में भारत को जीत के लिए 273 रन बनाने थे. इस बार भी मुकाबला सचिन और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के बीच था. सचिन ने इस मैच में आक्रामक पारी खेली. यह फाइनल मैच था, जिसे भारत ने 6 विकेट से जीता था. 



सचिन तेंदुलकर, (143) शारजाह, 1998
22 अप्रैल 1998 को शाहजाह में खेला गया यह मैच सचिन तेंदुलकर बनाम ऑस्ट्रेलिया साबित हुआ. ऑस्ट्रेलिया की तरफ से मुख्य गेंदबाज शेन वॉर्न थे. सचिन और वॉर्न के बीच कड़ा मुकाबला हुआ और श्रेष्ठ सचिन साबित हुए. सचिन की 143 रन की इस पारी ने सचिन के महान क्रिकेटर के कद को और बड़ा कर दिया. क्रिकेट इतिहास का शायद यह अकेला ऐसा मैच होगा, जिसमें भारतीय टीम ने हारने के बाद भी जश्न मनाया. रन रेट के आधार पर टीम इंडिया फाइनल में पहुंच चुकी थी और इसका पूरा श्रेय सचिन को था. हालांकि, भारत यह मैच 26 रन से हारा था.



बता दें कि भारत ने इस टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के ऊपर फाइनल मैच में जीत दर्ज की, जबकि वह ऑस्ट्रेलिया से अपने सारे लीग मैच हारा था. सचिन तेंदुलकर ने टूर्नामेंट पुरस्कार और ओपल एस्ट्रा का पुरस्कार जीता था. इसके साथ ही सचिन तेंदुलकर ने सबसे अधिक छक्के और सबसे तेज 50 रने बनाने के लिए भी अवॉर्ड जीते थे. 


22 सालों में बना दिए क्रिकेट में 100 शतक
1990 में पहला शतक बनाने वाले तेंदुलकर ने अपने खेल से अगले दो दशकों से ज्यादा समय तक लोगों को अपना दीवाना बनाए रखा. उन्होंने देश को कई मौके दिए जिसने उन्हें क्रिकेट का भगवान बना दिया. ऐसा ही मौका था 16  मार्च 2012 का. इस दिन सचिन दुनिया में 100 शतक बनाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने. ये शतक उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर स्टेडियम में बनाया था.