VIDEO: जब अंडरवियर में टिश्यू पेपर रख बल्लेबाजी करने उतरे सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर ने किताब में लिखा, ``मैं इस बात को बताते हुए बहुत शर्म और संकोच महसूस कर रहा था. यह एक बेहद निजी मामला था.``
नई दिल्ली: क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के 'भगवान' बनने की यात्रा बहुत लंबी है. अपनी किताब 'प्लेइंग इट माई वे' में सचिन तेंदुलकर ने कई ऐसे पलों का जिक्र किया है, जिनसे पता चलता है कि 'लीजेंड' ऐसे ही नहीं बनते. त्याग और समर्पण ही महान बनाते हैं. अपनी किताब में सचिन ने कई मजेदार पलों का भी जिक्र किया है. किताब में सचिन ने एक ऐसे पल का भी जिक्र किया है, जब उन्हें अपने अंडरवियर में टिश्यू लगाकर मैदान पर उतरना पड़ा था.
सचिन ने अपनी किताब में इस पल का जिक्र किया है. सचिन के मुताबिक, यह पल काफी शर्मिंदगी से भरा हुआ था, लेकिन मुझे देश के लिए खेलना था. 2003 में, आईसीसी वर्ल्ड कप के सुपर 6 मैच में टीम इंडिया श्रीलंका के खिलाफ खेल रही थी. तेंदुलकर बल्लेबाजी कर रहे थे और पेट खराब होने की वजह से वह अंडरवियर में टिश्यू लगाकर उतरे थे.
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इस बात को बताने में सचिन काफी शर्म महसूस कर रहे थे
सचिन तेंदुलकर ने जोहान्सबर्ग में खेले गए इस मैच में किसी तरह 97 रन बनाए. उन्होंने किताब में लिखा, ''मैं इस बात को बताते हुए बहुत शर्म और संकोच महसूस कर रहा था. यह एक बेहद निजी मामला था.''
सचिन ने बताया था कि मेरा पेट खराब था. मुझे डिहाईड्रेशन की समस्या हो रही थी. मेरे पेट में मरोड़ उठ रहे थे. सचिन ने इस किस्से का जिक्र करते हुए किताब में लिखा है, ''मैंने एनर्जी ड्रिंक में एक चम्मच नमक डाल लिया था. मुझे लगा था कि इससे मैं जल्दी बेहतर हो जाऊंगा. इसी वजह से मेरा पेट खराब हुआ. स्थिति इतनी खराब थी कि मुझे अंडरवियर में टिश्यूज होने के बावजूद बल्लेबाजी करनी पड़ी. हालांकि, मैं ड्रिंक्स के दौरान ड्रेसिंग रूम भी गया, लेकिन पिच पर मैं बहुत असुविधाजनक महसूस कर रहा था.'' बता दें कि श्रीलंका के साथ इस मैच में सचिन ने 120 गेंदों पर 97 रनों की पारी खेली, जिसकी मदद से भारत वह मैच 183 रनों से जीतने में सफल रहा था. (संबंधित वीडियो नीचे देखें)
सचिन तेंदुलकर की बायोग्राफी 'प्लेइंग इट माई वे' ने जीता सर्वश्रेष्ठ किताब का अवॉर्ड
भारतीय टीम के सबसे महान खिलाड़ी और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में कई रिकॉर्ड बनाएं हैं, लेकिन मैदान से इतर भी उन्होंने कई कीर्तिमान अपने नाम दर्ज किए है. बल्ले के साथ-साथ सचिन ने 'कलम' से भी सफलता हासिल की है. 14वें रेमंड क्रॉसवर्ड बुक अवॉर्ड्स में सचिन की आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ को पीपुल च्वाइस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ आत्मकथा के खिताब से सम्मानित किया गया. सचिन ने 5 नवंबर 2014 को अपनी इस किताब को लॉन्च किया था. इससे एक साल पहले 16 नवंबर 2013 को सचिन ने अपने 200वें टेस्ट मैच के बाद क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया था. सचिन की किताब ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में बेस्ट सेलिंग किताब होने का कीर्तिमान भी हासिल किया है. इसके साथ ही इस किताब ने भारत में सबसे ज्यादा प्री ऑर्डर की जाने वाली किताब का रिकॉर्ड तोड़ दिया था.
सचिन को सुबह उठने में हुई परेशानी तो ले लिया संन्यास
क्रिकेट के भगवान कहे जाने सचिन तेंदुलकर क्रिकेट से संन्यास भले ही ले चुके हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता में अभी तक कोई कमी नहीं आई है. अब भी उनके फैंस उनकी जिंदगी से हर छोटी-बड़ी बात को जाने के लिए उत्साहित रहते हैं. सचिन अपने फैंस को कभी निराश नहीं करते, इसलिए अपने जीवन से जुड़ी बातों को वे अक्सर अपने चाहने वालों के साथ शेयर करते ही रहते हैं. इस बार सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की वजह का खुलासा कुछ वक्त पहले किया था.
सबसे पहले 2013 में संन्यास लेने का ख्याल
सचिन तेंदुलकर ने खुलासा किया कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का पहला विचार उनके दिमाग में अक्टूबर 2013 में चैंपियंस लीग टी20 मैच के दौरान आया था जो उनके अलविदा कहने के फैसले से एक महीने पहले ही था. तेंदुलकर हाल में पेशेवर नेटवर्किंग साइट ‘लिंक्डइन’ से ‘इंफ्लुएंसर’ के तौर पर जुड़े और उन्होंने ‘माई सेंकेड इनिंग्स’ शीषर्क के लेख में उन्होंने लिखा, ‘अक्तूबर 2013 के दौरान दिल्ली में चैम्पियंस लीग मैच के दौरान ऐसा हुआ था. ’
उन्होंने खेल के बाद अपनी जिंदगी के बारे में बताते हुए कहा, ‘मेरी सुबह जिम वर्कआउट के साथ शुरू होती है जो मैं पिछले 24 साल से कर रहा हूं. लेकिन उस दिन अक्टूबर की सुबह कुछ बदल गया. मैंने महसूस किया कि मुझे खुद को उठाने के लिए जोर लगाना पड़ा. मैं जानता था कि जिम ट्रेनिंग मेरे क्रिकेट का अहम हिस्सा है जो पिछले 24 साल से मेरी जिंदगी का हिस्सा रही है. फिर भी यह अनिच्छा थी. क्यों? ’
घड़ी पर बार-बार नजर पड़ने लगी थी
सचिन ने ब्लॉग में लिखा, ‘सुनील गावस्कर मेरे हीरो में से एक हैं. एक बार उन्होंने बताया कि जब मेरी नजर बार-बार घड़ी पर पड़ने लगी और मैं देखने लगा कि लंच और टी-टाइम होने में कितना वक्त है, तब मुझे लगा कि अब खेल को अलविदा कहने का समय गया है. अचानक मुझे समझ आया कि उनके कहने का मतलब क्या था. मेरा दिमाग और शरीर मुझे भी ऐसे ही संकेत देने लगा था. कुछ साल पहले विंबलडन के दौरान बिली जीन किंग के कहे शब्द याद रहे थे. उस समय उन्होंने कहा था खिलाड़ी को खुद पता होता है कि उसे खेल कब छोड़ना है. यह आपके अंतर्मन की आवाज होती है. आपके संन्यास लेने का फैसला दुनिया को मत करने दो.’
नवंबर 2013 में सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया
तेंदुलकर ने लिखा था, ‘क्या ये संकेत थे... संकेत थे कि मुझे रुक जाना चाहिए? संकेत था कि जो खेल मेरे लिए इतना अहम रहा है, वह मेरी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा नहीं होगा? जिसे मैं सबसे ज्यादा प्यार करता हूं.’ यह सारी बातें वे हैं, जो संन्यास को लेकर सचिन तेंदुलकर के मन में सबसे पहले आई थीं. इसके एक महीने बाद नवंबर 2013 में सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था.