CWG 2018 : सिंधु को हराकर साइना ने जीता गोल्ड, भारत को मिला 26वां स्वर्ण
दो गेम्स के रोमांचक मुकाबले में सिंधु के मुकाबले सीनियर साइना नेहवाल ने एक बार फिर से कमाल का खेल दिखाते हुए मैच अपने नाम कर लिया.
गोल्ड कोस्ट : ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में कॉमनवेल्थ गेम्स के अंतिम दिन भारतीयों के लिए सबसे अहम मुकाबला हुआ. बेडमिंटन के सिंगल्स के फाइनल में भारतीय खिलाड़ी पीवी सिंधु और साइना नेहवाल आमने सामने थीं. इस मुकाबले में भारत के लिए गोल्ड और सिल्वर पहले से ही पक्के थे, लेकिन लोगों की नजरें इस बात पर थीं, दोनों भारतीय स्टार में से बाजी किसके हाथ लगती है. यहां एक बार फिर बड़े मुकाबले में साइना नेहवाल पीवी सिंधु पर भारी पड़ीं.
लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता सायना नेहवाल ने हमवतन और रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता पी.वी सिंधु को सीधे गेम्स में 21-18, 23-21 हराकर गोल्ड जीत लिया. सायना ऐसे में राष्ट्रमंडल खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं. सिंधु को हार के कारण रजत पदक से संतोष करना पड़ा. वर्ल्ड नम्बर-12 सायना ने इससे पहले 2010 में राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया था.
लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता सायना ने सिंधु को 56 मिनट तक चले इस मैच में मात देकर राष्ट्रमल खेलों का दूसरा स्वर्ण पदक अपने नाम किया. सायना ने पहले गेम में अच्छी शुरुआत की. उन्होंने 8-4 से बढ़त हासिल की. अधिक अनुभवी होने के कारण सायना ने सिंधु को अधिक अंक नहीं लेने दिए. हालांकि, सिंधु ने अच्छी वापसी करने की कोशिश की और स्कोर 18-20 कर लिया. यहां सायना ने एक अंक लेते हुए गेम 21-18 से अपने नाम कर लिया.
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दूसरे गेम में वर्ल्ड नम्बर-3 सिंधु ने अच्छी शुरुआत की थी. उन्होंने 7-5 से बढ़त हासिल की. सायना ने अंक लेते हुए स्कोर 8-10 कर लिया. सिंधु ने यहां फिर अंक लेते हुए 16-14 से फिर बढ़त हासिल कर ली. वह अच्छे अंक लेते हुए बढ़त बनाए हुए थी, लेकिन सायना ने अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए शानदार वापसी की और 20-20 से बराबरी कर ली.
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इसके बाद, सायना ने यहां फिर 21-20 से बढ़त बनाई. सिंधु ने एक अंक लेकर 21-21 से स्कोर बराबर कर लिया, लेकिन सायना ने दो अंक बटोरने के साथ ही 23-21 से दूसरा गेम अपने नाम करने के साथ स्वर्ण पदक पर कब्जा जमा लिया. सिंधु को भले ही रजत पदक से संतोष करना पड़ा हो, लेकिन वह 2014 में ग्लास्गो में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में मिले कांस्य पदक के रंग को बदलने में कामयाब रही हैं.