नई दिल्ली : घर बनाने वाली एक गृहिणी अपनी बेटी के पाकशाला में निपुण होने को लेकर बहुत उत्साही नहीं होती थी. भाई यह देखता था कि उसकी छोटी बहन क्रिकेट मैदान में उसके पीछे-पीछे चली आती है और बिजनेसमैन पिता बस यही चाहते थे कि उनके बच्चे खेलों की दुनिया में अपने सपनों को पूरा करें. अपने प्रगतिशील परिवार से मिले समर्थन की वजह से ही स्मृति मंधाना आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम की शानदार ओपनर हैं. 


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महिला वर्ल्ड कप VIDEO : ये करिश्मा करने वाली चौथी भारतीय बल्लेबाज बनीं स्मृति मंधाना


सांगली की रहने वाली 20 वर्षीय मंधाना महिला क्रिकेट में आज सबसे ज्यादा चर्चित नाम है- खासतौर पर इंग्लैंड में चल रहे विश्व कप में हर जगह उनके नाम की ही चर्चा है. पहले दो मैचों में ही मंधाना ने पहले इंग्लैंड के खिलाफ 90 और फिर वेस्ट इंडीज के खिलाफ 106 रनों की पारियां खेली हैं. उनकी इन्हीं पारियों की बदौलत भारत विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. इंग्लैंड में हर क्रिकेट प्रेमी यही सवाल पूछ रहा है- लंबे कद वाली बाएं हाथ की यह ग्रेसफुल लड़की कौन है?


कभी भारतीय टीम के मजबूत स्तंभ रहे और वर्तमान में कमेंटेटर संजय मांजरेकर भी अपने उत्साह को छिपा नहीं पा रहे हैं. उन्होंने ट्वीट किया, स्मृति मंधानी अपने तूफान से वर्ल्ड कप ले उड़ेंगी. वह बड़ी स्टार बनने की प्रक्रिया में है. 



स्मृति की बल्लेबाजी का सबसे आकर्षक पहलू है तेजी से रन बनाने की चतुराई और उनका स्ट्राइक रेट (108.88). आमतौर पर वह स्ट्रेट शॉट्स खेलना पसंद करती हैं, लेकिन उनमें कभी भी गेयर बदलने की क्षमता है. स्पिनर्स के खिलाफ वह पुल और स्वीट शॉट बेहतरीन खेलती हैं. वह गेंद को बाउंड्री के बाहर भेजने में भी अव्वल हैं. टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा छक्के लगाने के मामले में वह दूसरे नंबर पर हैं. 


पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले भारतीय ड्रेसिंग रूम में मंधाना की चर्चा थी. उन्हें मैच विनर के रूप में देखा जा रहा है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक, मंधाना की मां स्मिता का कहना है कि यदि वह अच्छी क्रिकेटर न बनती तो मुझे विश्वास है कि वह एक मास्टर शेफ साबित होती. वह कहती हैं कि मंधाना को किचन में पनीर बटर मसाला बनाते देखना और उनके हाथ का खाना खाना एक शानदार अनभव है. यहां तक क्रिकेट सर्किल के लोग भी उसके इस स्किल से वाकिफ हैं. 


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पूर्व भारतीय कोच पूर्णिमा राव का भी यही मानना है कि मंधाना यदि क्रिकेटर नहीं बन पाती तो निश्चित रूप से वह एक अच्छी शेफ बनतीं. महाराष्ट्र जूनियर टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके लेग स्पिनर मंधाना के भाई श्रवण जब क्रिकेट में आगे बढ़ पाने में असफल रहे तो वह पूरी तरह पढ़ाई में लग गए और उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया. 


24 वर्षीय श्रवण वर्तमान में कैमिकल डिस्ट्रीब्यूशन के अपने बिजनेस में लगे हैं. अब श्रवण पूरी तरह से बहन स्मृति को सपोर्ट करते हैं. जब स्मृति 9 साल की हुई थी तो महाराष्ट्र अंडर 15 में उनका चयन हो गया था. 


उनकी मां स्मिता कहती हैं, मैं चिंतित थी कि वह कैसे पंद्रह साल की लड़कियों के साथ तालमेल बिठाएगी. कई बार मैं उसे टेनिस खेलने के लिए प्रोत्साहित करती थी. लेकिन स्मृति को क्रिकेट से प्यार था. भाई और मां की सपोर्ट के चलते आज वह इस मुकाम पर पहुंची है, जहां महिला क्रिकेट ही नहीं पुरुष क्रिकेटर भी इसके खेल की प्रशंसा कर रहे हैं.