नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कहर और तमाम ऊहापोह के बीच टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) एक साल के लिए टाल दिए गए हैं. ये खेल टोक्यो में 24 जुलाई से 9 अगस्त के बीच होने थे. जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने ओलंपिक स्थगित होने की जानकारी खुद दी. शिंजो आबे ने मंगलवार को कहा, "मैंने थॉमस बाख के सामने प्रस्ताव रखा कि ओलंपिक गेम्स  (Olympics 2020) एक साल के लिए टाल दिए जाएं. बाख इससे 100% सहमत थे." थॉमस बाख इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (आईओसी) के अध्यक्ष हैं. अब यह खेल महाकुंभ अगले साल, यानी 2021 में होंगे. 


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जापान (Japan) की राजधानी में 32वें समर ओलिपंक्स (Tokyo Olympics 2020) होने थे, जो अब टल गया है. गेम्स टलने के साथ ही यह तय हो गया है कि अब टोक्यो 125 साल के इतिहास में एक नया रिकॉर्ड बनाएगा. खेलप्रेमी जानते हैं कि आधुनिक समर ओलंपिक्स पहली बार 1896 में आयोजित किए गए थे. तब से यह खेल महाकुंभ हर चार साल के अंतराल में हुआ है. सिर्फ तीन बार ही ऐसा मौका आया है, जब ये खेल रद्द किए गए. पहली बार 1916 में पहले विश्व युद्ध और फिर 1940 और 1944 में दूसरे विश्व युद्ध के कारण.  


ओलंपिक का इतिहास 124 साल पुराना है. जब अगले साल 32वें ओलंपिक आयोजित किए जाएंगे तो इसका इतिहास 125 साल का हो जाएगा. इन 125 साल में यह पहला मौका होगा, जब ओलंपिक ऑड ईयर (विषम साल) में आयोजित होगा. ओलंपिक में ऑड ईयर का इतिहास कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर के कारण बनने जा रहा है, जो अब तक दुनिया में 15 हजार से अधिक लोगों की जान ले चुका है. 
 
बता दें कि कनाडा (Canada) ने कोरोना के कहर के कारण इन खेलों का बॉयकॉट करने की घोषणा की थी. अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड ने भी ओलंपिक स्थगित करने की मांग की थी. टोक्यो ओलंपिक (Olympics 2020) टलने के साथ ही खेलप्रेमियों मन में कई सवाल उठ रहे होंगे. जैसे क्या ऐसा पहली बार हो रहा है. क्या पहले कभी ओलंपिक खेल रद हुए हैं या टाले गए हैं या क्या इनका बहिष्कार हुआ है? हुआ है तो कब? कितनी बार हुआ है ये सब?  इसकी वजह क्या थीं? हम इस रिपोर्ट में आपको ऐसे सारे सवालों के जवाब देने जा रहे हैं. 

आधुनिक समर ओलंपिक (Olympics) अब तक तीन बार रद हुए हैं. 1916 में छठे ओलंपिक पहले विश्व युद्ध के कारण नहीं हो सके थे. इसके बाद 1940 और 1944 में भी दूसरे विश्व युद्ध के कारण ऐसा हुआ. इसी तरह विंटर ओलंपिक 1940 और 1944 में रद करने पड़े थे. 


बायकॉट भी हुआ और प्रतिबंध भी लगे  
1908:
ओलंपिक की मेजबानी रोम को मिली थी. लेकिन इटली में ज्वालामुखी सक्रिय हो गया. इसका असर ओलंपिक की तैयारियों पर पड़ा. इस कारण ये खेल लंदन में कराए गए. 


1948 (लंदन): जर्मनी और जापान को दूसरे विश्व युद्ध में उनकी भूमिका के कारण आमंत्रित नहीं किया गया था. सोवियत संघ ने लंदन ओलंपिक में भाग नहीं लिया था. 


1956 (मेलबर्न): मिस्र, इराक और लेबनान ने स्वेज नहर संकट के कारण इन खेलों में भाग नहीं लिया. स्पेन, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और कंबोडिया ने सोवियत संघ की भागीदारी के कारण खेलों का बायकॉट किया. चीन ने ताइवान को मौका दिए जाने के विरोध में खेलों का बहिष्कार किया. 


1964 (टोक्यो): उत्तर कोरिया, चीन और इंडोनेशिया ने बहिष्कार किया. इसकी वजह आईओसी का वह प्रतिबंध था जिसमें उसने उन एथलीटों को अनुमति देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने एक साल पहले जकार्ता में न्यू इमर्जिंग फोर्सेज में हिस्सा लिया था. 


1964 में ही रंगभेद के कारण दक्षिण अफ्रीका को भाग लेने से रोक दिया गया था. उसे इसके बाद 1970 में IOC से निष्कासित कर दिया गया था. दक्षिण अफ्रीका को 1991 में IOC में पुन: शामिल हुआ और बार्सिलोना ओलंपिक-1992 में हिस्सा लिया. 

1972 (म्यूनिख): अफ्रीकी देशों द्वारा बहिष्कार की धमकी देने पर ओलंपिक शुरू होने से एक सप्ताह पहले रोडेशिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. 

1976 (इंसब्रुक): विंटर ओलंपिक की मेजबानी पहले 1970 में डेनवर को दी गई थी. बाद में लोगों के विरोध और पर्यावरणीय चिंताओं के बीच इसे इंसब्रुक में कराया गया. 


1976 (मॉन्ट्रियल): आईओसी द्वारा न्यूजीलैंड पर प्रतिबंध लगाने से इनकार करने के बाद 29 अफ्रीकी देशों ने मॉन्ट्रियल गेम्स का बहिष्कार किया. न्यूजीलैंड की रग्बी टीम ने उस वर्ष दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया था. इसी ओलंपिक में ताइवान को कनाडा ने चाइना रिपब्लिक के तौर पर हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी. इस कारण उसकी टीम भी  ओलंपिक में नहीं उतरी. 

1980 (लेक प्लासीड): IOC द्वारा चीन के पीपुल्स रिपब्लिक को `चीन` के रूप में मान्यता देने के बाद ताइवान ने विंटर ओलंपिक का बहिष्कार किया. ताइवान को `चीनी ताइपे` नाम से प्रतिस्पर्धा करने को कहा गया था, जो उसने नहीं किया.
    
1980 (मॉस्को): अमेरिका के नेतृत्व में 66 देशों ने सोवियत संघ में होने वाले ओलंपिक का बहिष्कार किया. इन देशों ने रूस के अफगानिस्तान पर आक्रमण के विरोध में इन खेलों का बहिष्कार किया. कुछ एथलीटों ने ओलंपिक ध्वज के तहत भाग लिया. भारत ने मॉस्को ओलंपिक में ही आखिरी बार हॉकी में गोल्ड मेडल जीता था. 

1984 (लॉस एंजिल्स): सोवियत संघ, पूर्वी जर्मनी और उसके सहयोगियों सहित 14 देशों ने इन खेलों का बायकॉट किया. इन देशों ने 1980 में अमेरिकी नेतृत्व वाले बहिष्कार के जवाब में ऐसा किया. 

1988 (सियोल): उत्तर कोरिया और क्यूबा ने खेलों का बहिष्कार किया. पांच अन्य देशों ने या तो निमंत्रण का जवाब नहीं दिया या वित्तीय कारण बताकर अपनी टीम नहीं भेजी.  


2018 (प्योंगचांग): रूस को राज्य प्रायोजित डोपिंग घोटाले के कारण आईओसी द्वारा विंटर ओलंपिक से प्रतिबंधित कर दिया गया था. उसके एथलीटों को केवल ओलंपिक ध्वज के तहत प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई.  


जब 24 घंटे के लिए बंद हुए खेल 
1972 (म्यूनिख):
फिलिस्तीनियों द्वारा 11 इजरायली एथलीटों की खेल गांव में हत्या कर दी गई थी. इसके बाद ओलंपिक के इवेंट करीब 24 घंटे तक के लिए स्थगित कर दिए थे. 

1996 (अटलांटा): सेंटेनियल ओलंपिक पार्क में एक पाइप बम विस्फोट किया गया, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 111 लोग घायल हो गए. हालांकि, इससे आयोजन पर फर्क नहीं पड़ा और खेल जारी रहे.


(इनपुट: Reuters)