Paris Paralympics: पेरिस में जारी पैरालंपिक गेम्स में भारत का शानदार प्रदर्शन जारी है. भारत ने अभी तक पेरिस पैरालंपिक गेम्स में 24 मेडल्स पर कब्जा जमा लिया है. भारत अब तक 5 गोल्ड, 8 स‍िल्वर और 11 ब्रॉन्ज मेडल जीत चुका है. पेरिस पैरालंपिक के सातवें दिन बुधवार 4 अगस्त को धर्मबीर ने मेन्स क्लब थ्रो (F51) में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता है. धर्मबीर ने भारत को पांचवां गोल्ड मेडल जिताया है. वहीं, इसी इवेंट में प्रणव सूरमा ने भारत को आठवां सिल्वर मेडल दिलाया है. पेरिस में जारी पैरालंपिक गेम्स में भारत मेडल्स टैली में अब 13वें नंबर पर पहुंच गया है. 


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भारत ने की मेडल्स की बारिश


धर्मबीर ने अपने चौथे प्रयास में 34.92 मीटर का थ्रो करते हुए गोल्ड मेडल पक्का कर लिया था. धरमबीर ने इस दौरान एशियाई रिकॉर्ड भी तोड़ा. एक अन्य भारतीय प्रणव सूरमा ने इस स्पर्धा में 34.59 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ रजत पदक जीता. भारत ने बुधवार को पैरालिंपिक में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में पोडियम पर अपना पहला 1-2 स्थान हासिल करके इतिहास रच दिया. धरमबीर ने जो स्वर्ण पदक जीता, वह इस खेल महाकुंभ के इतिहास में क्लब थ्रो में भारत का पहला पदक भी था. 35 वर्षीय धरमबीर ने 2021 में टोक्यो पैरालिंपिक में अपने प्रयास को लगभग 10 मीटर बेहतर करते हुए भारत के लिए शानदार शाम में स्वर्ण पदक जीता. भारत के लिए 1-2 का स्कोर हरविंदर सिंह द्वारा पैरालिंपिक में देश का पहला तीरंदाजी स्वर्ण पदक जीतने के तुरंत बाद आया.



जेल्को दिमित्रिजेविक ने जीता कांस्य पदक


पैरालिंपिक में F51 कैटेगरी उन एथलीटों के लिए है जिनकी मांसपेशियों की शक्ति या धड़, पैर और हाथों की गति की सीमा कम होती है. वे बैठे हुए प्रतिस्पर्धा करते हैं और शक्ति उत्पन्न करने के लिए अपने कंधों और बाहों का उपयोग करते हैं. इस स्पर्धा में दूसरे भारतीय अमित कुमार 23.96 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सबसे निचले स्थान पर रहने के बाद पदक नहीं जीत सके. सर्बिया के जेल्को दिमित्रिजेविक ने 34.18 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता. पैरालिंपिक और विश्व रिकॉर्ड क्रमशः 35.42 और 36.22 मीटर अछूते रहे.


भारत के मेडल्स की संख्या 24 तक पहुंची


धरमबीर और प्रणव ने मिलकर पेरिस पैरालिंपिक में भारत के मेडल्स की संख्या 24 तक पहुंचा दी. पेरिस पैरालिंपिक में भारत अब तक 5 गोल्ड, 8 स‍िल्वर और 11 ब्रॉन्ज मेडल जीत चुका है. धरमबीर के गोल्ड के साथ भारत ने तीन साल पहले टोक्यो में हासिल किए गए अपने सर्वश्रेष्ठ पांच स्वर्ण पदकों की बराबरी भी कर ली. धरमबीर की शुरुआत खराब रही, उन्होंने लगातार चार फाउल प्रयास किए और फिर 34.92 मीटर थ्रो फेंका. इस शानदार प्रयास ने भारतीय क्लब थ्रोअर को 10-मैन फील्ड में पूरे मुकाबले में शीर्ष पर बने रहने में मदद की. प्रणव ने पहले प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 33 मीटर से अधिक की दूरी पर पांच थ्रो किए.





सोनीपत से ताल्लुक रखते हैं धर्मबीर


हरियाणा के सोनीपत से ताल्लुक रखने वाले धर्मबीर ने 2014 में पैरा एथलेटिक्स में अपना सफर शुरू किया था, जिसमें उन्होंने भारतीय पैरालिंपियन अमित कुमार सरोहा की देखरेख में डिस्कस थ्रो पर ध्यान केंद्रित किया था. उनके जीवन में एक नाटकीय मोड़ तब आया जब वे अपने गांव में नहर में गोता लगा रहे थे, उन्होंने पानी की गहराई का गलत अनुमान लगाया और नीचे की चट्टानों से टकरा गए. इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण उनके कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया, जिससे उनके जीवन की दिशा काफी बदल गई. साल 2014 में, धर्मबीर ने पैरा-स्पोर्ट्स को अपनी जिंदगी का मकसद बनाया और नए रास्ते खोले.


प्रणव सूरमा के सिर पर सीमेंट की चादर गिर गई


16 साल की उम्र में प्रणव सूरमा की जिंदगी में एक नाटकीय मोड़ तब आया जब उनके सिर पर सीमेंट की चादर गिर गई, इससे उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लग गई और वे लकवाग्रस्त हो गए. डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वे फिर कभी नहीं चल पाएंगे और उन्हें छह महीने अस्पताल में बिताने पड़े. प्रणव को इस बात को स्वीकार करने में कई साल लग गए कि व्हीलचेयर ही उनका आजीवन साथी होगा. हालांकि, उनकी अटूट भावना और कभी हार न मानने के दृढ़ संकल्प ने उन्हें अपनी परिस्थितियों का भरपूर फायदा उठाने में मदद की.