नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के निर्वासित अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का ‘उल्लंघन करके’आठ फरवरी को बोर्ड की कार्य समिति की बैठक की अध्यक्षता करने और नये पदाधिकारियों के चुनाव के लिये वार्षिक आमसभा आयोजित करने का फैसला लेने के मामले में शीर्ष अदालत से आज ‘बिना शर्त माफी मांग ली।


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सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन के खिलाफ अवमानना याचिका खत्म करते हुये उन्हें चेन्नई में बोर्ड के चुनाव में तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में मताधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान कर दी।


श्रीनिवासन ने यह भी आश्वासन दिया कि दो मार्च को बोर्ड की सालाना आम सभा की बैठक या कोर्ट के 22 जनवरी के फैसले के प्रभावी रहने तक फैसले लेने वाली किसी भी ऐसी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे।


न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला की पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई शुरू होते ही श्रीनिवासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘मुझे यह कहने का निर्देश है कि मैं बैठक की अध्यक्षता नहीं करूंगा।’ कोर्ट ने सिब्बल के इस कथन को दर्ज किया कि श्रीनिवासन ने महसूस किया है कि 8 फरवरी को बैठक की अध्यक्षता करने का उनका कृत्य सही नहीं है और उनकी मंशा किसी भी तरह से कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने की नहीं थी।


हालांकि, कोर्ट क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार की इस दलील से सहमत नहीं हुआ कि तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में श्रीनिवासनव को दो मई को बोर्ड के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए होने वाली वार्षिक आम सभा की बैठक में हिस्सा लेने से वंचित किया जाए।